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भगवान कैलासवासी की आरती

By Tami

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भगवान कैलासवासी की आरती

धर्म संवाद / डेस्क : माना जाता है भगवान शिव कैलाश पर्वत पर निवास करते हैं। इस वजह से उन्हे कैलासवासी भी कहा जाता है। उनको समर्पित है यह आरती ।

शीश गंग अर्धंग पार्वती

सदा विराजत कैलासी।

नंदी भृंगी नृत्य करत हैं,

धरत ध्यान सुर सुखरासी।।

शीतल मन्द सुगन्ध पवन बह,

बैठे हैं शिव अविनाशी।

करत गान गन्धर्व सप्त स्वर,

राग रागिनी मधुरासी।।

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यक्ष-रक्ष-भैरव जहं डोलत,

बोलत हैं वनके वासी।

कोयल शब्द सुनावत सुन्दर,

भ्रमर करत हैं गुंजा-सी।।

कल्पद्रुम अरु पारिजात तरु,

लाग रहे हैं लक्षासी।

कामधेनु कोटिन जहं डोलत,

करत दुग्ध की वर्षा-सी।।

सूर्यकान्त सम पर्वत शोभित,

चन्द्रकान्त सम हिमराशी।

नित्य छहों ऋतु रहत सुशोभित,

सेवत सदा प्रकृति दासी।।

ऋषि-मुनि देव दनुज नित सेवत,

गान करत श्रुति गुणराशी।

ब्रह्मा-विष्णु निहारत निसिदिन,

कछु शिव हमकूं फरमासी।।

ऋद्धि-सिद्धि के दाता शंकर,

नित सत् चित् आनंदराशी।

जिनके सुमिरत ही कट जाती,

कठिन काल यम की फांसी।।

त्रिशूलधरजी का नाम निरंतर,

प्रेम सहित जो नर गासी।

दूर होय विपदा उस नर की,

जन्म-जन्म शिवपद पासी।।

कैलासी काशी के वासी,

विनाशी मेरी सुध लीजो।

सेवक जान सदा चरनन को,

अपनो जान कृपा कीजो।।

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तुम तो प्रभुजी सदा दयामय,

अवगुण मेरे सब ढकियो।

सब अपराध क्षमा कर शंकर,

किंकर की विनती सुनियो।।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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