धर्म संवाद / डेस्क : सनातन धर्म में तीर्थ यात्रा का बहुत महत्व है। वेदों और पुराणों में भी इनका जिक्र मिलता है। तीर्थ यात्रा का चलन रामायण और महाभारत काल में भी था। कहते हैं तीर्थ यात्रा पर जाने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं। साथ ही मोक्ष का मार्ग आसान हो जाता है। तीर्थ यात्रा के धार्मिक लाभ होने के साथ –साथ और भी कई लाभ हैं । चलिए उनके बारे में विस्तार से जानते हैं।
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तनाव होता है कम- समय-समय पर तीर्थ यात्रा करने से दैनिक जीवन में चल रही परेशानियों से कुछ समय के लिए मुक्ति मिल जाती है। दिनचर्या में बदलाव मन को प्रसन्न रखता है। यात्रा करने से नई ऊर्जा मिलती है जिससे काम करने का एक नया उत्साह होता है।
सकारात्मक ऊर्जा- धार्मिक स्थलों और तीर्थों पर सबसे ज्यादा सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इन स्थानों पर जाने वाला व्यक्ति हमेशा ऊर्जा और सकारात्मक सोच से भरा महसूस करता है।
व्यायाम- हम अपने प्रतिदिन के कार्यों में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि व्यायाम का समय ही नहीं मिलता। हमारे तीर्थ स्थल ऐसे जगहों पर होते हैं जहां तक पहुँचने के लिए हमे सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती हैं, पहाड़ चढ़ने पड़ते है। वहाँ का वातावरण स्वच्छ होता है। इससे हमारा शारीरिक लाभ भी होता है।
ज्ञान वृद्धि- तीर्थ यात्रा पर जाने से हमारे आध्यात्मिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक ज्ञान में वृद्धि होती है। क्योंकि जब आप किसी यात्रा पर जाते हैं तो इस दौरान कई जगहों का इतिहास और महत्व आपको जानने का मौका मिलता है। नए लोगों से मिलकर नई संस्कृति को जानकार ज्ञान की वृद्धि होती है।
नए अनुभव- यात्राओं से हमें नए-नए अनुभव होते हैं, हमारी स्मृतियां बढ़ती है। सोच बढ़ती है। शिक्षित होते हैं।