धर्म संवाद / डेस्क : इस मंदिर की पूजा किये बिना बाबा बैद्यनाथ धाम की पूजा अधूरी मानी जाती है। झारखंड राज्य के दुमका जिले में स्थित बासुकीनाथ मंदिर भगवान शिव के प्रमुख धामों में से एक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, बिना बासुकीनाथ के दर्शन के बाबा बैद्यनाथ धाम की पूजा अधूरी मानी जाती है। यही कारण है कि लाखों श्रद्धालु देवघर के बाबा बैजनाथ के दर्शन के बाद बासुकीनाथ पहुँचते हैं और भगवान शिव का अभिषेक करते हैं।
धार्मिक मान्यता और महत्व
हिंदू आस्था के अनुसार, बाबा बैद्यनाथ धाम को भगवान शंकर की दीवानी अदालत माना जाता है, जबकि बासुकीनाथ धाम उनकी फौजदारी अदालत है। यहाँ भगवान शिव को ‘बासुकीनाथ’ के रूप में पूजा जाता है। बासुकीनाथ मंदिर का इतिहास सागर मंथन से जुड़ा है। कहा जाता है कि सागर मंथन के दौरान नागराज वासुकी ने मंदराचल पर्वत को मथने के लिए रस्सी का कार्य किया था। वासुकी ने इसी स्थल पर भगवान शिव की तपस्या की थी, जिसके फलस्वरूप यहां शिवलिंग प्रकट हुआ और उन्हें ‘बासुकीनाथ’ नाम मिला।
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स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, वर्तमान बासुकीनाथ क्षेत्र कभी एक घना और हरा-भरा वन था, जिसे दारुक वन कहा जाता था। समय के साथ इस क्षेत्र में लोग बसने लगे, जो अपनी आजीविका के लिए इसी वन पर निर्भर रहते थे। वे कंद-मूल और वनस्पति की तलाश में जंगल जाया करते थे। इसी क्रम में ‘बासुकी’ नामक एक व्यक्ति भोजन की तलाश में जंगल पहुंचा। जब उसने ज़मीन खोदनी शुरू की तो अचानक वहाँ से रक्त बहने लगा, जिससे वह घबरा गया और वहाँ से भागने लगा। तभी आकाशवाणी हुई और उसे आदेश दिया गया कि वह उसी स्थान पर भगवान शिव की पूजा शुरू करे।
बासुकी ने आज्ञा का पालन करते हुए उस स्थान पर प्रकट हुए शिवलिंग की नियमित पूजा प्रारंभ कर दी। तभी से यहाँ स्थित भगवान शिव को ‘बासुकीनाथ’ कहा जाने लगा। यहाँ शिव का स्वरूप नागेश के रूप में माना जाता है, और यही कारण है कि श्रद्धालु उन्हें दूध अर्पित करते हैं, जिससे उन्हें विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मुख्य शिव मंदिर के अतिरिक्त परिसर में अन्य देवी-देवताओं के मंदिर भी स्थित हैं। एक खास बात यह है कि भगवान शिव और माता पार्वती के मंदिर आमने-सामने हैं, जो शिव-पार्वती के दिव्य युगल रूप का प्रतीक है। देशभर से श्रद्धालु पहले देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम पहुँचते हैं और गंगाजल अर्पित करने के बाद बासुकीनाथ आते हैं। मान्यता है कि बासुकीनाथ में भोलेनाथ भक्तों की फौजदारी फरियादें सुनते हैं और उनका समाधान करते हैं।
कैसे पहुँचें बासुकीनाथ
सावन महीने में शिव भक्त सबसे पहले बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज, जो बासुकीनाथ से लगभग 135 किलोमीटर दूर है, वहाँ पहुंचते हैं और गंगा जल ले कर बाबा धाम की और पैदल आते है। जो भक्त बिना रुके सीधे बासुकीनाथ पहुंचते हैं उन्हें डाक बम कहते हैं और जो कई जगह रुकते हुए बाबा के धाम पहुँचते हैं उन्हें “बोल बम” कहते है।
बासुकीनाथ पहुँचने के लिए
- निकटतम रेलवे स्टेशन: दुमका (लगभग 25 किमी) और जसीडीह (लगभग 50 किमी)
- निकटतम हवाई अड्डा: राँची का बिरसा मुंडा एयरपोर्ट (लगभग 280-300 किमी)
- कोलकाता का नेताजी सुभाष चंद्र बोस एयरपोर्ट भी लगभग 320 किमी दूर है।






