गरुड़ पुराण के अनुसार इन बुरे कर्म करने वाले को नर्क में मिलती है ये सजा

By Tami

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धर्म संवाद / डेस्क : जीवन का एकलौता सत्य है मृत्यु। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, मृत्यु के पश्चात व्यक्ति की आत्मा या तो स्वर्ग जाती है या नर्क। पर ये इतनी आसान नहीं होती। मरने के बाद आत्मा एक यात्रा आरम्भ करती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, जो व्यक्ति जीवन में अच्छे कर्म करता है,उन्हें मरणोपरांत स्वर्ग की प्राप्ति होती है। वहीं अधर्मी, पापी, दुष्ट प्रकृति के लोगों की आत्मा को मृत्यु के बाद यमराज नरक लोक भेजते हैं। आपके कर्म ये निर्धारित करते हैं कि आप स्वर्ग जाने योग्य हैं या नर्क।

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मनुष्य जब अपना शरीर त्याग देता है तो एक यात्रा प्रारंभ होती है।इस दौरान उसे तीन प्रकार के मार्ग मिलते हैं। मृत व्यक्ति किस मार्ग पर जाएगा इसका फैसला उसके कर्म करते हैं। पहले मार्ग को अर्चि मार्ग, दूसरा धूम मार्ग और तीसरा उत्पत्ति विनाश मार्ग। देवलोक और ब्रह्मलोक की यात्रा के लिए अर्चि मार्ग होता है। धूम मार्ग पितृलोक की यात्रा के लिए और उत्पत्ति मार्ग विनाश मार्ग नरक की यात्रा पर ले जाता है।

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गरुड़ पुराण में बताया गया है कि मरने के बाद क्या-क्या होता है और कैसी – कैसी सज़ा मिलती है। आइये आपको बताते हैं इसमें दी गयी सबसे भयानक सज़ाओं के बारे में।

  • तमिश्रम: तमिश्रम नरक विभिन्न प्रकार के नरक में से एक है। इस नरक में मरने के बाद ऐसी आत्माओं को भेजा जाता है, जिन्होंने अपने जीवन में छल या धोखे से किसी की संपत्ति हड़पी हो। ऐसे कर्म वाले लोगों को  यहां यमदूत मार-मार कर बेहोश कर दिया जाता है। इतना ही नहीं होश में आने के बाद उसे दोबारा पीटा जाता है। यह सिलसिला तब तक चलता है, जबतक सजा का समय पूरा न हो जाए।
  • अंधात्मत्स्रम नरक: इस नरक में ऐसी पापी आत्माएं जाती हैं, जो वैवाहिक रिश्ते की मर्यादा का उल्लंघन करते हैं और अपने जीवनसाथी को  धोखा देकर दूसरे से संबंध बनाते हैं। ऐसे लोगों की आत्मा को अंधात्मत्स्रम नरक में तरह-तरह की यातनाएं दी जाती है।
  • रौरवम नरक: जो लोग अपना जीवन दूसरों के संसाधनों पर ऐश करने में गुजार देते हैं, स्वार्थी और लालच होते हैं, जलन और ईर्ष्या भाव रखते हैं आदि। ऐसी आत्मा को रौरवम नरक में भेजकर सांपों से कटवाया जाता है।
  • कुंभीपाकम नरक: सभी नरक में कुंभीपाकम नरक को सबसे भयानक बताया गया है। जो लोग जीवनभर केवल अपने लाभ के लिए जानवरों की हत्या करते हैं, उन्हें इस नरक में भेजकर खौलते हुए तेल में डालकर उबाला जाता है.
  • कलासूत्रम नरक: इस नरक में ऐसे लोगों की आत्मा को भेजा जाता है जो दूसरों का अपमान करते हैं, बड़े-बुजुर्गों का आदर-सम्मान नहीं करते। इस नरक में इतनी भीषण गर्मी होती है कि सहन करना मुश्किल हो जाता है।  ऐसा तब तक किया जाता है, जब तक उनकी खाल न निकल जाए।
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  • असितापत्रम:  ये सज़ा उनके लिए है, जो अपने काम को सही से नहीं करते और उनकी लापरवाही से किसी और को भुगतना पड़ता है। ऐसे लोगों के शरीर को नुकीले धार वाले चाकू से गोद दिया जाता है और फिर कोड़े बरसाए जाते हैं।
  • अन्धकूपम: ये उन लोगों के लिए होता है, जो बुरे स्वभाव के होते हैं और उनको अच्छे लोगों को परेशान करने और सताने में बहुत मज़ा आता है। इसमें पापियों को ऐसे कुएं में डाल दिया जाता है, जिसमें कई ख़तरनाक जानवर और सांप होते हैं।
  • तप्तमूर्ति:  जो लोग सोने या अन्य किसी धातु को चुराते हैं, उन्हें नरक की गर्म आग में ज़िन्दा जला दिया जाता है।
  • क्रीमीभोजनम:  ऐसे लोग, जो दूसरों को बस स्वार्थ के लिए इस्तेमाल करते हैं, उन्हें ये खौफ़नाक सज़ा दी जाती है। ऐसे लोगों को नर्क में कीड़े और सरीसृप ज़िन्दा ही खा जाते हैं।
  • सलमाली:  ऐसे लोग, जो अपने पति या पत्नी के अलावा किसी और के साथ शारीरिक संबंध बनाते हैं, नर्क में उनके अंगों में जलता हुआ गर्म लोहा डाल दिया जाता है और यमदूत बुरी तरह पीटते हैं।
  • वैतरणी नदी :  ऐसे शासक, जिन्होंने अपने पद का गलत उपयोग किया है, उन्हें इस नदी से होकर गुज़रना पड़ता है।ऐसा माना जाता है कि ये सबसे ख़तरनाक सज़ा है। इस वैतरणी नदी में मानव शरीर, उनकी खोपड़ियां, कंकाल और खून और कई गन्दी चीज़ें पड़ी रहती हैं। इसमें लोगों को ये सारी चीज़ें खानी भी पड़ती हैं।
  • पुयोदुकम:  ऐसे मर्द, जिन्होंने महिलाओं के साथ सम्भोग किया हो और उन्हें धोखा देकर छोड़ दिया हो, उन्हें नर्क में जानवर समझा जाता है और मल-मूत्र भरे इस कुएं में डाल दिया जाता है।

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  • अविची:  ये नर्क उनके लिए है, जिन्होंने झूठी कसम खाई हो या झूठी गवाही दी हो। उन लोगों के शरीर में आग लगाकर ऊंचाई से फेंक दिया जाता है। वो लोग सतह पर पहुंचने से पहले ही राख हो जाते हैं।
  • राक्षसोभोजनम:  ऐसे लोग, जिन्होंने जानवरों की बलि दी हो और उसके बाद उनका मांस खाया हो, उन्हें इस नर्क में लाया जाता है। जितने जीवों को पापियों ने मारा होता है, वो सारे यहां उपस्थित होते हैं और उनको चीर कर खा जाते हैं।
  • दंदसुकम:  जो लोग जीवों के मांस का और उनके शरीर का व्यापार करते हैं, उन्हें यहां लाया जाता है और कुछ राक्षसी जीव उन्हें ज़िन्दा खा जाते हैं।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .