धर्म संवाद / डेस्क : वास्तु शास्त्र में घर की हर जगह की सही दिशा और सजावट के महत्व को बताया गया है, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में मदद करता है। बालकनी घर का वह हिस्सा है जहां आप आराम से बैठ सकते हैं, ताजगी का अनुभव कर सकते हैं, और प्रकृति से जुड़ सकते हैं। वास्तु के अनुसार, बालकनी की सही दिशा और सजावट से घर में सुख-शांति और समृद्धि आ सकती है। यदि बालकनी का वास्तु सही नहीं होगा तो जहां से हवा और प्रकाश आ रहे हैं वहीं से रोग और शोक भी आ सकते हैं।
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बालकनी की दिशा : बालकनी यदि वायव्य, उत्तर, ईशान या पूर्व की दिशा में है तो उत्तम है। इस दिशा को छोड़कर कहीं है तो उसमें वास्तु दोष निर्मित हो सकता हैं। यदि घर पश्चिममुखी है तो ऐसे में उत्तर या पश्चिम की दिशा में बालकनी होनी चाहिए। उत्तरमुखी है तो बालकनी पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। वहीं दक्षिणमुखी घर है तो बालकनी पूर्व या दक्षिण की ओर होनी चाहिए। उत्तर दिशा में बालकनी होने घर में धन और समृद्धि के द्वार खुल जाते हैं। पश्चिम और दक्षिण दिशा में बालकनी बनवाने से बचना चाहिए। यह दिशा नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकती है और घर में तनाव और परेशानियां बढ़ा सकती हैं।
अखंडित बालकनी : बालकनी अखंडित होना चाहिए यानी उसकी रैलिंग या वॉल टूटी-फूटी नहीं होना चाहिए। बालकनी टूटी हुई, गंदी या आड़ी-तिरझी बनी हुई नहीं होना चाहिए। अन्यथा वास्तु दोष निर्मित होगा। बालकनी का फर्श, पूरे घर के फर्श से थोड़ा नीचे होना चाहिए।
बालकनी के रंग : वास्तु शास्त्र के अनुसार, रंगों का चयन बहुत महत्वपूर्ण है। हल्के रंग जैसे सफेद, नीला, हरा, हल्का पीला या क्रीम रंग आपके मानसिक स्वास्थ्य और घर में शांति बनाए रखते हैं। हरा रंग प्राकृतिक ऊर्जा और ताजगी का प्रतीक है। यह विशेष रूप से पौधों के लिए अच्छा होता है। यदि आप गर्म रंगों का इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो हल्का पीला, गुलाबी या नारंगी रंग चुन सकते हैं, जो सकारात्मकता को बढ़ाता है।
छत : बालकनी की छत की स्थिति सीधे उसके वास्तु को प्रभावित करती है। अच्छी तरह से बनाए रखा, रिसाव मुक्त छत एक स्वागत योग्य और ताज़ा माहौल और बेहतर बालकनी वास्तु सुनिश्चित करता है। एक बाधित या क्षतिग्रस्त छत ऊर्जा के ठहराव का कारण बन सकती है, जिससे बचने में बेहतरी है। छत को साफ रखें और किसी भी मलबे से मुक्त रखें।
पौधे : बालकनी का वस्तुदोष दूर करने के लिए और ताजगी बनी रहे, इसके लिए पेड़-पौधे भी लगाए जा सकते हैं। बालकनी में तुलसी, मनी प्लांट, लिली, जेड प्लांट, सदाबहार, ब्रह्म कमल आदि सकारात्मक उर्जा वाले पौधे लगाएं जो कि आपके मन को भी सुंदर लगे और घर को भी सुंदर बनाए। अगर बालकनी में जगह कम है, तो गमले में फूल लगाएं। इससे फूलों को रखने में जगह भी कम लगेगी। कटे हुए पौधों और मुरझाए हुए फूलों से बचें, क्योंकि ये नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकते हैं।
फर्नीचर : बालकनी में आरामदायक और टिकाऊ फ़र्नीचर रखना चाहिए। फ़र्नीचर की आकृति गोल होनी चाहिए। अपने फर्नीचर को इस तरह से रखें कि आप घर के बाहर के नज़ारे और घर के अंदरूनी हिस्से दोनों का आनंद ले सकें। वास्तु के अनुसार, बर्तन, कुर्सियां, और सोफा जैसे आरामदायक फर्नीचर रखने से स्थान में संतुलन बनता है। वृत्ताकार या गोल आकार के फर्नीचर का उपयोग अच्छा माना जाता है, क्योंकि यह ऊर्जा के प्रवाह को नियंत्रित करता है।
प्रकाश और वेंटिलेशन : बालकनी में प्राकृतिक रोशनी का प्रवेश सुनिश्चित करें। अगर प्राकृतिक रोशनी कम है, तो आपको हल्का और नरम प्रकाश लगाना चाहिए, जिससे स्थान में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे। अच्छा वेंटिलेशन भी आवश्यक है। यदि बालकनी में हवादार वातावरण होता है, तो वहां सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और यह आपके स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है।
बालकनी में किसी भी प्रकार की अव्यवस्था से बचें। पुराने, बेकार सामान को बाहर रखें और वहां कोने में सामान इकट्ठा करने से बचें। यह नकारात्मक ऊर्जा का कारण बन सकता है।