धर्म संवाद / डेस्क : महापर्व छठ एक महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है, जो सूर्य देवता को समर्पित है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से सप्तमी तक मनाया जाता है, जो आमतौर पर अक्टूबर या नवंबर में पड़ता है। यह व्रत सभी व्रतों में सबसे कठिन माना जाता है क्योंकि यह व्रत 36 घंटे तक निर्जला रखना होता है। इस साल छठ महापर्व की 05 नवंबर से आरंभ हो रही हैं, जिसका समापन 08 नवंबर को होगा।
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छठ पर्व की रस्में
1. नहाय-खाय: पहले दिन नहाय-खाय की रस्म होती है, जिसमें लोग स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनते हैं।
2. खरना: दूसरे दिन खरना की रस्म होती है, जिसमें लोग व्रत रखते हैं और रात में भोजन करते हैं।
3. संध्या अर्घ्य: तीसरे दिन संध्या अर्घ्य की रस्म होती है, जिसमें लोग सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं।
4. उषा अर्घ्य: चौथे दिन उषा अर्घ्य की रस्म होती है, जिसमें लोग सूर्योदय के समय सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं।
छठ पूजा के नियम
1. शुद्धता: पूजा स्थल और पूजा सामग्री को शुद्ध और स्वच्छ रखें।
2. व्रत: छठ पूजा के दौरान व्रत रखना आवश्यक है।
3. नये कपड़े: पूजा के दिन नये कपड़े पहनना चाहिए।
4. स्नान: पूजा से पहले स्नान करना चाहिए।
5. प्रसाद : छठ पूजा का प्रसाद हमेशा साफ-सफाई वाले स्थान पर बनाना चाहिए।
6. बिना सिले हुए वस्त्र : व्रती को चारों दिन नए और साफ वस्त्र पहनना होता है। इसमें भी इस बात का ध्यान दिया जाता है कि वे वस्त्र सिले न हों। महिलाएं साड़ी और पुरुष धोती पहनते हैं।
7. तामसिक भोजन : छठ पूजा के दौरान घर में प्याज, लहसुन और मांस-मदिरा नहीं लाना चाहिए।
8. बांस का इस्तेमाल : मान्यताओं के अनुसार छठ पूजा के दौरान स्टील या शीशे के बर्तनों का उपयोग नहीं करना चाहिए। आप बांस से बने सूप और टोकरी का ही इस्तेमाल करें।