हिंदू परम्पराओं में विवाह के दौरान जब वर वधू की मांग सिंदूर भरता है तो इसे सिंदूर दान कहा जाता है। इस रस्म को कन्यादान की तरह ही महत्वपूर्ण माना गया है।
बिना सिंदूर दान के शादी पूर्ण नहीं मानी जाती है।
सिंदूर को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
हमारे शरीर में 7 चक्र होते हैं, जिनका नियंत्रण सिर के उस हिस्से में होता है, जहां सिंदूर भरा जाता है।
मांग के पीछले हिस्से में सूर्य विराजमान होते हैं। ऐसे में यदि मांग में सिंदूर भर जाए, तो इससे सूर्य की स्थिति मजबूत होती है।
माता सीता भगवान राम की दीर्घायु के लिए अपनी मांग में सिंदूर भरती थीं
माता पार्वती भी अपनी मांग में सिंदूर भरा करती थीं।
वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो सिंदूर लगाने से मानसिक तनाव कम होता है और मस्तिष्क संबंधित बीमारियां दूर होती हैं।