धर्म संवाद / डेस्क : हनुमान जी को कलयुग का देवता माना जाता है। जिस किसी पर भी हनुमान जी की कृपा होती है उसकी सारी समस्याएँ दूर हो जाती हैं। उन्हे श्रीराम का सबसे बड़ा और सबसे परम भक्त माना जाता है। उनके पिता का नाम केसरी और माता का नाम अंजनी था। उनके माता पिता ने उनका नाम मारुति रखा था। उन्हें केसरी नंदन कहकर भी पुकारा जाता था। परंतु क्या आप जानते हैं कि उनका नाम हनुमान कैसे पड़ा ? चलिए जानते हैं।
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कहते हैं बजरंग बली जब छोटे थे तब उन्हें बहुत भूख लगती थी। एक बार उन्होंने अपनी मां अंजनी से कुछ खाने के लिए मांगा। अंजनी तब कुछ काम कर रही थीं। बजरंग बली भूख से व्याकुल हो रहे थे। वे बाहर गए और फल खाने लगे। तभी उन्हें आसमान में उन्हें चमकता हुआ सूरज दिखाई दिया।
बजरंग बली को लगा कि यह भी एक फल है। उन्होंने अपनी शक्ति से लंबी छलांग लगाई और सूर्य को फल समझ कर निगल गए । सूर्य के गायब हो जाने से पूरी धरती पर अंधेरा छा गया। सभी देवताओं ने मारुति से सूरज को बाहर उगलने की विनती की लेकिन मारुति ने अपने बाल हठ में किसी की न सुनी। तब सभी देव इंद्र के पास गए और कहा कि एक वानर ने सूर्यदेव को कहा लिया है। उसके बाद क्रोधित होकर इंद्र देव ने अपने वज्र से मारुति के हनु यानी ठोड़ी पर प्रहार किया, जिससे हनुमान जी का हनु टूट गया।इसके कारण ही उनका नाम ‘हनुमान’ पड़ गया।