धर्म संवाद / डेस्क : हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया की तिथि को काफी ज्यादा शुभ माना जाता है। यह पर्व वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं की माने तो वैशाख शुक्ल तृतीया तिथि को ब्रह्म देव के पुत्र अक्षय कुमार की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इस तिथि को अक्षय तृतीया कहते हैं। मान्यता है कि इस तिथि को आप जो भी शुभ कार्य करेंगे, उसका फल अक्षय रहता है। अक्षय का मतलब है जो कभी नष्ट ना हो। इस साल यह पर्व 10 मई, शुक्रवार को है और इस दिन शुभ मुहूर्त सुबह 5.48 बजे से दोपहर 12.22 बजे तक रहेगा।
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मन यह भी जाता है कि सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत अक्षय तृतीया से ही हुई थी। इस दिन ही द्वापर युग का अंत भी हुआ था, जिसके बाद कलयुग का प्रारंभ भी अक्षय तृतीया से हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन मां लक्ष्मी के साथ कुबेर भगवान की पूजा की जाती है, क्योंकि अक्षय तृतीया के दिन ही कुबेर भगवान को खजाना मिला था।
इस दिन सोना-चांदी खरीदने की परंपरा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन सोना खरीदने से घर में धन-धान्य बना रहता है और घर मे सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा ऐसा भी कहा जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन सोने की खरीदारी करने से घर में कभी धन का अभाव नहीं होता है। इस दिन सोना खरीदने से आपको साल भर आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ता है। अक्षय तृतीया पर सोना खरीदने से धन, यश, वैभव और कीर्ति में वृद्धि होती है। कहा जाता गहनों की खरीदारी करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद ही प्राप्त होता है।
अक्षय तृतीया के दिन पितरों के लिए किया गया पिंडदान या कोई भी दान भी अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि गंगा स्नान के बाद पूजन और दान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं।