धर्म संवाद / डेस्क : सनातन धर्म में भगवान विष्णु को पालनहार माना गया है। कहा जाता है कि ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की तो उसके पालन की जिम्मेदारी विष्णु भगवान को दी गई। संहार की जिम्मेदारी शिव भगवान को दी गई। शिव महापुराण में इस बात का उल्लेख है कि सृष्टि का आरंभ या उसके पहले के दौर में भी शिव ही मूल तत्व थे और सृष्टि का अंत भी शिव ही करेंगे। शिव ही सत्य हैं। इसलिए कहा गया है सत्यम शिवम सुंदरम।
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माना जाता है कि विष्णु भगवान हमारे दुख हरते हैं, धन, दौलत, शांति, ऐश्वर्य, सुख, समृद्धि के साथ ही काम मोक्ष आदि की प्राप्ति हेतु सर्व सुलभ देव है। विष्णु जी को प्रसन्न करना बेहद आसान है। जैसे देवों के देव महादेव को आप एक रुद्राक्ष या बेलपत्र से प्रसन्न कर सकते हैं, वैसे ही आप विष्णु जी को गुड, चना और हल्दी से भी प्रसन्न कर सकते हैं।
ऐसे लोग जो धन तो कमाते हैं पर उसका संचय नहीं कर पाते उनके लिए विष्णु भगवान की शरण में जाना श्रेष्ठकर साबित होता है। विष्णु महापुराण में एक जगह वर्णित है कि अगर आप दरिद्रता में है अथवा 2 वक़्त की रोटी भी सही तरीके से नहीं मिल पा रही है अथवा मन मस्तिष्क मलीन है, धन का संचय नहीं हो पा रहा है तो आपको हर गुरुवार को या तो श्री सत्यनारायण भगवान की कथा विधिपूर्वक खुद ही सुननी चाहिए अथवा आप इसका खुद ही पाठ कर सकते हैं। अगर कथा में दिक्कत है तो आप केले के पेड़ में गुड, पीला दाल, हल्दी और जल का समर्पण कर भी श्री हरि विष्णु को प्रसन्न कर सकते हैं। आपका गुरुवार का ड्रेस पीला हो तो बेहतर क्योंकि विष्णु भगवान को यह रंग अतिप्रिय है।
इस मन्त्र का जाप करे ।
ॐ बृहम बृहस्पताय नमः ।
या आप
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का भी 11 अथवा 21 बार जाप कर सकते हैं।
केले में जल चढ़ाने की इस पूरी विधि को जीवन पर्यंत हर गुरुवार को करना चाहिए। अगर कोई दिक्कत हो तो श्री हरि विष्णु से माफी मांग कर इसके पूर्णाहुति कर देनी चाहिए।