धर्म संवाद / डेस्क: शिव आदि हैं अनंत हैं. उसके साथ ही साथ शिव भोलेनाथ भी हैं. यही कारण है कि एक बार उनके भोलेपन के चलते उनके प्राण संकट में आ गए थे.जी हाँ कई बार ऐसा हुआ है कि भगवान शिव के आशीर्वाद / वरदान का असुरों ने गलत फायदा उठाया है. उन असुरों में सबसे प्रचलित असुर है भस्मासुर. चलिए जानते है भस्मासुर से जुड़ी कथा.
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शिव महापुराण के अनुसार, एक बार भस्मासुर नामक एक राक्षस ने भगवान शिव की घोर तपस्या की. हज़ारों वर्षो बाद एक दिन उसकी तपस्या से प्रसन्न हो भगवान शिव उसके सामने प्रकट हुए और उससे मनचाहा वरदान मांगने को कहा. यह सुन भस्मासुर बोला, “वह जिसके भी सर पर हाथ रखे वह भस्म हो जाए” भगवान शिव ने भी तथास्तु कहकर उसे यह शक्ति प्रदान कर देते हैं. वरदान मिलने के बाद वो शिवजी के पीछे उन्हें ही भस्म करने के लिए भाग पड़ा.
जैसे-तैसे अपनी जान बचा कर भोलेनाथ शंकर भगवान विष्णु की शरण में जाते हैं और उन्हे पूरी बात बताते हैं। उसके बाद श्रीहरि विष्णु उन्हें उनकी रक्षा का आशवासन देते हुए मोहिनी अवतार धारण करते हैं. मोहिनी जैसे ही भस्मासुर के निकट पहुचती है भस्मासुर उन्हें देख कर सुध बुध खो बैठता है और उससे विवाह का प्रस्ताव उसके सम्मुख रख देता है. जिसपर मोहिनी उत्तर देती है, ” हे दैत्यराज! आप मुझे पसंद तो हैं परंतु मेरा एक संकल्प है कि मैं केवल उसी नर से विवाह करूंगी जो मेरी ही तरह सुंदर नृत्य करना जानता हो.”
यह सुन भस्मासुर थोड़ा चिन्तित हुआ परंतु उसने मोहिनी से ही मदद मांगी और मोहिनी भी उसे नृत्य सिखाने के लिए तैयार हो गयी. अब जैसा नृत्य मोहिनी करती, भस्मासुर भी उसे देख उसे दोहराता. तभी नृत्य करते करते मोहिनी ने अपना दायां हाथ अपने सर पर रखा और उसकी देखी देखा भस्मासुर ने भी अपना हाथ अपने सर पर रख लिया.अपने हाथ को अपने ही सिर पर रखकर वो खुद ही भस्म हो गया. इस तरह विष्णु जी की मदद से भोलेनाथ की समस्या का हल हो गया.