धर्म संवाद / डेस्क : मंदिर एक ऐसी जगह है जहाँ हर कोई प्रवेश कर सकता है चाहे वो किसी भी जाती या धर्म का हो. लेकिन भारत के कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां सिर्फ हिंदू धर्म के लोग ही जा सकतें हैं ।आइए जानते हैं भारत में वो कौन से मंदिर हैं जहां सिर्फ हिंदू ही जा सकतें हैं. चलिए उन्ही मंदिरों के बारे में आपको बताते हैं.
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जगन्नाथ मंदिर, पुरी- जगन्नाथ मंदिर ओडिशा के पूरी शहर में स्थित है. यह एक विश्व प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है. यह मंदिर और कलिंग शैली में बनाई गयी है जो भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है. यहाँ श्रीकृष्ण जगन्नाथ के रूप में पूजे जाते हैं. यहाँ श्रीकृष्ण के अलावा उनके भाई बलराम और बहन सुभद्रा विराजे हुए हैं. माना जाता है यहाँ श्रीकृष्ण का दिल मौजूद है.जगन्नाथ मंदिर में दर्शन करने के लिए आपका हिन्दू होना आवश्यक है. यहां बोर्ड भी लगे हैं कि गैर-हिंदू मंदिर में प्रवेश न करें. यहां तक कि साल 1984 में इंदिरा गांधी को भी मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया गया था, क्योंकि, उनकी शादी एक पारसी से हुई थी.
गुरुवायुर मन्दिर, केरल – केरल का गुरुवायुर मन्दिर तक़रीबन 5000 साल पुराना है. इस मंदिर के देवता भगवान गुरुवायुरप्पन है, जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण का बालरूप कहा जाता है. मान्यता अनुसार, इस मंदिर का निर्माण स्वयं विश्वकर्मा द्वारा किया गया था. इस अम्न्दिर का निर्माण ऐसे किया गे अहै कि सूर्य की किरने पहले भगवान के चरणों पर गिरे. इस मंदिर में भी केवल हिन्दू ही प्रवेश कर सकते हैं. गैर –हिन्दुओं को यहाँ प्रवेश करने की अनुमति नहीं है.
पद्मनाभस्वामी मंदिर, केरल- केरल का ये मंदिर सबसे अमीर मंदिरों में गिना जाता है. इस मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कुछ सालों में पहले यह मंदिर तब सुर्खियों में आया था, जब इसके तहखानों में अकूत धन संपदा मिली थी। इतिहासकारों की माने तो ये मंदिर करीब 5000 साल पुराना है. यहाँ भगवान विष्णु शेषनाग पर विश्राम अवस्था में है. यहाँ भी गैर-हिन्दुओं का आना मना है .
लिंगराज मंदिर, भुवनेश्वर- उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर में बना लिंगराज मंदिर काफी प्रसिद्ध और प्राचीन है. यह मंदिर हरिहर को समर्पित है. रोजाना हजारों की संख्या में भक्त मंदिर के दर्शन करने आते हैं लेकिन इस मंदिर में सिंर्फ हिंदू धर्म के लोग अंदर जा सकते हैं. इस मंदिर की प्रसिद्धि ऐसी है कि दूर पश्चिमी देशों से भी भक्त दर्शन करने के लिए आते थे लेकिन साल 2012 में एक विदेशी पर्यटक ने यहां आकर मंदिर के कर्म-कांडों में अड़चन पैदा की थी जिसके बाद से मंदिर के ट्रस्ट बोर्ड द्वारा गैर हिंदुओं प्रवेश इस मंदिर में मना कर दिया गया. हालाँकि इस मंदिर के बगल में चबूतरा बनवाया गया है ताकि दुसरे धर्म के लोग भी आसानी से इसे देख सके.
काशी विश्वनाथ मंदिर ,वाराणसी- यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. गंगा के तट पर स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है की ये भगवन शिव और माता पारवती का आदि स्थान है. इस मंदिर को कई बार विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा तोड़ा गया है. इतिहास के पन्नों में झाँकने से पता चलता है कि काशी मंदिर के निर्माण और तोड़ने की घटनाएं 11 वि सदी से लेकर 15 वि सदी तक चलती रही है. उसके बाद से ही यहाँ पे गैर-हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित कर दिया गया . मंदिर के परिसर में एक विशाल मेल अलागता है जिसमे हर धर्म के लोग आते हैं लेकिन गर्भगृह के पास किसी भी गैर-हिन्दू को जाने नहीं दिया जाता .
कामाक्षी मंदिर, कांचीपुरम- तमिलनाडु के कांचीपुरम में मौजूद कामाक्षी अम्मन मंदिर में माता पार्वती के कामाक्षी स्वरूप की पूजा की जाती है.यह दक्षिण भारत के विख्यात मंदिरों में से एक है और इस मंदिर में भी गैर-हिंदुओं की एंट्री नहीं हो सकती है.
कपालेश्वर मंदिर, चेन्नई- तमिलनाडु के चेन्नई के में स्थित कपालेश्वर मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में द्रविड़ सभ्यता के समय हुआ था. यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है. इस मंदिर के बारे में धार्मिक मान्यता है कि इसका नाम शिव जी के नाम पर ही रखा गया है. मंदिर के नाम का संधि विच्छेद करने पर पता चलता है कि कपा का अर्थ है सिर और भगवान भोले का अन्य नाम अलेश्वर है. इस मंदिर में भी हिंदुओं के अलावा किसी भी अन्य धर्म के पर्यटकों के अंदर आने पर रोक है.