धर्म संवाद / डेस्क : देशभर में कई मंदिर हैं जिनकी अपनी – अपनी विशेषताएं हैं . कुछ मंदिरों की बनावट, वास्तुकला अतुलनीय होती है. वैसा दूसरा कोई नहीं होता. परन्तु मंदिर बनाते समय वास्तु का विशेष ध्यान रखा जाता है. हर एक मंदिर पूरब दिशा की ओर खुलता है. मंदिर का मुख्य दरवाज़ा पूरब दिशा की ओर होता है. लेकिन एक मंदिर ऐसा भी है जिसका दरवाज़ा पूरब दिशा की ओर ना होकर पश्चिम दिशा में खुलता है. ये अनोखा मंदिर बिहार के औरंगाबाद में स्थित है.
यह भी पढ़े : इस मंदिर में श्रीकृष्ण हो जाते हैं पतले
यह मंदिर भगवान सूर्य को समर्पित है.पौराणिक कथाओं की मानें तो इस सूर्य मंदिर का निर्माण स्वयं भगवान विश्वकर्मा ने रातों-रात किया था. इतिहासकारों के मुताबित इसे राजा भेरेंद्र सिंह ने बनवाया था. ये एक इकलौता ऐसा सूर्य मंदिर है जिसके दरवाजे पूरब के बदले पश्चिम दिशा में खुलते हैं. मंदिर के बाहर लगे एक शिलालेख के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण 12 लाख 16 हजार वर्ष त्रेता युग के बीत जाने के बाद इलापुत्र पुरुरवा ऐल ने आरंभ करवाया था. मंदिर का निर्माण आयाताकार, अर्द्धवृताकार और गोलाकार पत्थरों को जोड़कर बनाया गया है. तकरीबन एक सौ फीट ऊंचा यह सूर्य मंदिर स्थापत्य और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है. यह सूर्य मंदिर पुरी के जगन्नाथ मंदिर से काफी मिलता-जुलता है. इस मंदिर का पश्चिम में खुलने वाला द्वार एक रहस्य है. ऐसा किसलिए किया गया है इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिलती है.
मंदिर में सूर्य देवता की मूर्ति सात रथों पर सवार है. इसमें उनके तीनों रूपों उदयाचल-प्रात: सूर्य, मध्याचल- मध्य सूर्य और अस्ताचल -अस्त सूर्य के रूप में विद्यमान है. यहां भगवान सूर्य के तीनो स्वरूपों की पूजा होती है. मंदिर के पास ही एक सूर्यकुंड है जहां व्रती सूर्य को अर्घ्य देते हैं और पूजा करते हैं. यहां कार्तिक और चैत्र महीने में कई राज्यों से श्रद्धालु छठ पूजा करने पहुंचते हैं. मान्यता है कि जो भक्त श्रद्धा पूर्वक इस मंदिर में भगवान सूर्य की पूजा करते हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.
यह भी पढ़े : सूर्य की गति के साथ बदलता है इस मंदिर के गुंबद का त्रिशूल,अनोखा है बाल्हेश्वर महादेव मंदिर
यहां पर स्थित तालाब का विशेष महत्व है. इस तालाब को सूर्यकुंड भी कहते है. इसी कुंड में स्नान करने के बाद सूर्यदेव की आराधना कि जाती है. एक कथा के मुताबिक त्रेतायुग में इला के बेटे ऐल जब सरोवर के पानी से शरीर साफ कर रहे थे तो उनका कुष्ठ रोग ठीक हो गया था.