धर्म संवाद / डेस्क : हमारे भारत देश के मंदिरों की खूबसूरती और वास्तुकला का कोई तोड़ नहीं है। यहाँ ऐसे कई मंदिर हैं जो पूरी दुनिया में अपनी बनावट, अनोखी मान्यताओ, अद्भुत चमत्कारों और कहानियों के लिए प्रसिद्ध है। हम आपको एक ऐसे ही एक शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में सुन आप भी हैरान रह जाएंगे। 500 साल पुराने इस मंदिर के गुंबद पर लगा त्रिशूल सूर्य गति के साथ बदलता रहता है।
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रायबरेली जनपद के लालगंज तहसील अंतर्गत बाल्हेमऊ गांव में स्थित बाल्हेश्वर महादेव मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है। यहां के लोगों का मानना है कि इस मंदिर के गुंबद पर लगा त्रिशूल सूर्य की गति के साथ परिवर्तित होता रहता है। यहां पर भक्तों की अटूट आस्था है। इस मंदिर परिसर में एक सरोवर भी स्थित है। जिसके बारे में लोगों की मान्यता है की इस मंदिर में भारत के सभी तीर्थों,नदियों का जल लाकर डाला गया था। जिससे भगवान शिव का जलाभिषेक किया जाता है। यहां आने वाले सभी भक्त इसी सरोवर से जल लेकर भगवान का जलाभिषेक करते हैं।
लोगों की मान्यता है कि लगभग 500 वर्ष पूर्व इस जगह विशालकाय जंगल हुआ करता था। इस जंगल में पास ही के गांव की गाय चरने जाया करती थी। एक बार उन्हीं गायों में से एक गाय ने दूध देना बंद कर दिया तो उस गाय के मालिक को चिंता हुई। गाय के मालिक ने सोचा कोई उसकी गाय का दूध चोरी कर लेता है। इसी वजह से गाय ने कई दिनों से दूध देना बंद कर दिया है।
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चोर का पता लगाने के लिए गाय का मालिक गाय के पीछे पीछे जंगल तक गया और वहां झाड़ियों के पीछे छुप गया। तभी गाय के मालिक ने देखा कि गाय एक झाड़ी में चली गई और वहां बैठ गई। उसके थन से दूध की धारा बह रही है और वह धारा उसी स्थान पर जमीन में बने एक छेद में जा रही है। यह देख मालिक को काफी आश्चर्य हुआ और वह अपने घर आ गया।
कहते हैं भगवान शिव ने उसे सपने में दर्शन दिए और कहा कि मैं उसी स्थान पर विराजमान हूँ। जहां पर तुमने अपनी गाय को देखा था।अगले दिन उसने अपने घर वालों को ये बात बताई तो उन्होंने वहां जाकर देखा तो वहां पर एक शिवलिंग दिखाई दिया तभी से लोग वहां पर पूजा पाठ करने लगे।
मंदिर परिसर में एक दुर्गा मंदिर भी है। जिसके बारे में लोगों में मान्यता है की यहां पर नवरात्रि के दिनों में दर्शन करने मात्र से सभी मन्नते पूरी होती हैं। इसीलिए यहां पर नवरात्रि के दिनों में भारी भीड़ होती है।