धर्म संवाद / डेस्क : शिव पुराण भगवान शिव को समर्पित है। इसमें भगवान शिव की भक्ति, उनकी महिमा और शिवजी के संपूर्ण जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला गया है। साथ ही इसमें ज्ञान, मोक्ष, व्रत, तप, जप आदि के फल की महिमा का वर्णन भी मिलता है। मान्यता है कि शिव पुराण की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। इसमें भगवान शिव के विभिन्न लीलाओं, शक्तियों, और गुणों का वर्णन है। यह पुराण 72,000 श्लोकों का एक विशाल संग्रह है, जो सृष्टि, पालन और संहार के रहस्यों को उजागर करता है। चलिए शिव पुराण की कुछ रोचक बातें ।
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- शिव पुराण 18 महापुराणों में से एक है।
- शिव पुराण के अनुसार शिवरात्रि और महाशिवरात्रि का व्रत करने से व्यक्ति को भोग एवं मोक्ष दोनों ही प्राप्त होते हैं और साथ ही पुण्य की प्राप्ति भी होती है। पुण्य कर्मों से भाग्य उदय होता है और व्यक्ति सुख पाता है।
- शिव पुराण के अनुसार कोई भी कर्म करते वक्त व्यक्ति को खुद का साक्षी या गवाह बनना चाहिए कि वह क्या कर रहा है। अच्छा या बुरा सभी के लिए वह स्वयं जिम्मेदार होता है। उसे यह कभी भी नहीं सोचना चाहिए कि उसके कामों को कोई नहीं देख रहा है। यदि वह मन में ऐसे भाव रखेगा तो कभी भी पाप कर्म नहीं कर पाएगा।
- मनुष्य में जब तक राग, द्वेष, ईर्ष्या, वैमनस्य, अपमान तथा हिंसा जैसी पाशविक वृत्तियां रहती हैं, तब तक वह पशु के सामान है । पशुता से मुक्ति के लिए भक्ति और ध्यान जरूरी है।
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5. इस पुराण में संसार के साथ ही संन्यास को भी साधने की जानकारी मिलती है।
6. सूर्यास्त से दिनअस्त तक का समय भगवान ’शिव’ का समय होता है तब वे अपने तीसरे नेत्र से त्रिलोक्य (तीनों लोक) को देख रहे होते हैं और वे अपने नंदी गणों के साथ भ्रमण कर रहे होते हैं। इस समय व्यक्ति अगर कटु वचन कहता है, कलह-क्रोध करता है, सहवास करता है, भोजन करता है, यात्रा करता है या कोई पाप कर्म करता है तो उसका घोर अहित होता है।
7. मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धर्म है सत्य बोलना या सत्य का साथ देना और सबसे बड़ा अधर्म है असत्य बोलना या असत्य का साथ देना।
8. शिव पुराण में भगवान शिव के भक्तों की कहानियां भी मिलती हैं। मार्कण्डेय ऋषि, रावण, नंदी और गणेश की कथाएं भक्तों को प्रेरणा देती हैं।
9. मनुष्य की इच्छाओं से बड़ा कोई दुख नहीं होता। मनुष्य इच्छाओं के जाल में फंस जाता है तो अपना जीवन नष्ट कर लेता है। इसलिए अपनी अवश्यकताओ और इच्छाओं को कम करना चाहिए।
10.पुराण में ही प्रसिद्ध विद्येश्वर संहिता, रुद्र संहिता, शतरुद्र संहिता, कोटिरुद्र संहिता, उमा संहिता, कैलास संहिता, वायु संहिता (पूर्व भाग) और वायु संहिता (उत्तर भाग) है जिसे पढ़ने का बहुत ही महत्व है।