धर्म संवाद / डेस्क : शनिवार का दिन शनिदेव को समर्पित होता है. शनि देव न्याय के देवता है. वे हर मनुष्य को उनके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं. शनिदोष से पीड़ित व्यक्तियों के लिए शनिवार का दिन और शनिदेव की पूजा बहुत ही खास मानी जाती है। शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाया जाता है. चैये जानते हैं इसके पीछे की कथा.
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पौराणिक कथा के अनुसार, माना जाता है कि रावण ने अपने अहंकार में चूर होकर सभी ग्रहों को बंदी बना लिया था. शनिदेव को भी उसने बंदीग्रह में उलटा लटका दिया था. उसी समय हनुमानजी ने लंका में आग लगा कर लंका दहन कर दिया था. लंका जल गई और सारे ग्रह आजाद हो गए लेकिन उल्टा लटका होने के कारण शनि के शरीर में भयंकर पीड़ा हो रही थी और वह दर्द से कराह रहे थे.
शनि देव के दर्द को शांत करने के लिए हुनमानजी ने उनके शरीर पर तेल से मालिश की थी और शनि देव को दर्द से मुक्ति मिल गयी थी. उसी समय शनि ने कहा था कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा भक्ति से मुझ पर तेल चढ़ाएगा उसे सारी समस्याओं से मुक्ति मिलेगी. तभी से शनिदेव पर तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हो गई थी.
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दूसरी कथा के अनुसार, घमंड में चूर होकर शनिदेव ने हनुमानजी को आमने-सामने की लड़ाई के लिए ललकारा .उस वक्त वह अपने प्रभु श्रीराम की भक्ति में लीन थे. उन्होंने शनिदेव को युद्ध न करने के लिए लाख समझाया. पर शनिदेव के न मानने पर दोनों के बीच में जमकर युद्ध हुआ. इस युद्ध में जब शनिदेव बुरी तरह घायल हो गए और उन्हें पीड़ा होने लगी तो हनुमानजी ने उनके घाव पर सरसों का तेल लगाना शुरू किया.
इससे उन्हें आराम मिलने लगा और धीरे-धीरे शनिदेव का पूरा दर्द गायब हो गया.तब से सरसों का तेल शनिदेव की प्रिय वस्तुओं में से एक बन गया. इस पर शनिदेव ने कहा कि जो भी भक्त सच्चे मन से शनिदेव को तेल चढ़ाएगा उसके जीवन से सारे कष्ट और संकट दूर होंगे. उसके बाद से ही जो भी भक्त हनुमानजी की पूजा करते हैं शनि देव भी उन्हें सभी कष्टों से दूर रखते हैं.