कर्मनाशा नदी को क्यों माना जाता है श्रापित? जाने इससे जूड़ी पौराणिक कथा

By Tami

Published on:

कर्मनाशा नदी

धर्म संवाद / डेस्क : हमारे भारत देश में नदियों को भी पूजा जाता है। देवी – देवता की तरह ही नदियों को भी माता का दर्जा दिया जाता है। परंतु एक नदी ऐसी भी है जो कि श्रापित है। लोग इस नदी के पानी का इस्तेमाल तो छोड़िए इसे छूने से भी डरते हैं. यहाँ तक की पशु पक्षी भी इस नदी के आस पास नहीं जाते । इस नदी का नाम कर्मनाशा नदी है, जो कि बिहार और उत्तर प्रदेश में बहती है। पर आखिर इस नदी के श्रापित होने की वजह क्या है चलिए जानते हैं।

यह भी पढ़े :  कुबेर कैसे बने धन के देवता, जाने यह पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार ,राजा हरिशचंद्र के पिता सत्यव्रत ने अपने गुरु वशिष्ठ से सशरीर स्वर्ग में जाने की इच्छा जताई थी। लेकिन गुरु ने इनकार कर दिया। फिर राजा सत्‍यव्रत ने गुरु विश्वामित्र से जाकर यही आग्रह किया। वशिष्ठ से शत्रुता के कारण विश्वामित्र ने अपने तप के बल पर सत्यव्रत को सशरीर स्वर्ग में भेज दिया। इसे देखकर देवराज  इंद्र क्रोधित हो गये और उन्होंने  राजा का सिर नीचे की ओर करके धरती पर वापस भेज दिया। यह देखकर विश्वामित्र ने अपने तप से राजा को स्वर्ग और धरती के बीच रोक दिया और फिर देवताओं से युद्ध किया। इस दौरान राजा सत्‍यव्रत आसमान में उल्‍टे लटके रहे, जिससे उनके मुंह से लार गिरने लगी। यही लार बहने से नदी बन गई. वहीं गुरु वशिष्‍ठ ने राजा सत्‍यव्रत को उनकी धृष्‍टता के कारण चांडाल होने का श्राप दे दिया। लोगो का मानना है कि राजा के लार से नदी बनने और उन्हें मिले श्राप की वजह से यह नदी भी श्रापित हो गई है।

WhatsApp channel Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now
See also  मंदिर में परिक्रमा का क्या है महत्व, जाने क्या कहते हैं शास्त्र

देखे विडिओ : कर्मनासा नदी | Karmnasa Nadi

कर्मनाशा नदी उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, चंदौली, वाराणसी और गाजीपुर से होकर बहती है। माना जाता है कि इस नदी का पानी छूने से बने-बनाये काम बिगड़ जाते हैं। इस नदी की लंबाई करीब 192 किलोमीटर है। इस नदी का 116 किलोमीटर का हिस्सा यूपी में आता है। जब लोग कर्मनाशा नदी के तट पर रहते थे तो कभी भी खाना पकाने और सफाई के लिए भी इसके पानी का उपयोग नहीं करते थे। वे नदी के पानी का उपयोग करने के बजाय फलों और अन्य सामग्रियों पर जीवित रहे जो उन्हें जमीन पर मिल सकते थे।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .