धर्म संवाद / डेस्क : सनातन धर्म में व्रत और उपवास रखने का विधान है.हिंदू धर्म में प्रमुख व्रत-त्योहारों के मौके पर व्रत या उपवास रखने की परंपरा होती है.मान्यता है कि व्रत रखने से भगवान की विशेष कृपा मिलती है और व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है. व्रत रखने की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है. इसका धार्मिक के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्त्व भी है .
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व्रत रखने की कई वजह है. माना जाता है कि जब आप व्रत रखते हैं, तब आप अच्छे से प्रार्थना कर पाते हैं. आपका दिमाग शांत और सतर्क रहता है.व्रत रखने से हमारी सतर्कता और हमारे मन पर प्रभाव पड़ता है; इसीलिए दुनिया के सभी धर्मों में व्रत रखा जाता है.व्रत रखने से व्यक्ति को मानसिक शांति, भगवान के नजदीक रहने के शक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. मान्यता है कि व्रत रखने पर सभी तरह के पापों और कष्टों से मुक्ति मिलती है तथा व्रत रखने से व्यक्ति का मन,दिमाग और आत्मा शुद्ध होती है.
आपको बता दे व्रत रखने से ग्रह-नक्षत्रों के बुरे प्रभाव से भी बचा जा सकता है. व्रत या उपवास में व्यक्ति अपने आध्यात्मिक उद्येश्य की प्राप्ति हेतु अपने शरीर का शुद्धिकरण करता है.जब शरीर शुद्ध होता है तो मन का भी शुद्धिकरण संभव हो पाता है.मन शुद्ध होने पर प्रार्थना में भी मन लगता है और पूजा अच्छे से हो पाती है.
विज्ञान के अनुसार उपवास करने से व्यक्ति की सेहत अच्छी बनी रहती है. व्रत के दौरान भोजन नहीं किया जाता है. कुछ अल्पाहार लेकर ही पूरा दिन बिताया जाता है. इससे व्यक्ति का पाचन तंत्र ठीक बना रहता है. व्रत रखने व्यक्ति के शरीर में मोटापा और कोलेस्ट्ऱॉल का मात्रा काबू में रहती है जिससे व्यक्ति का शरीर सेहतमंद रहता है. व्रत रखने से ब्लड शुगर को कंट्रोल करने और डायबिटीज के जोखिम को कम करने में भी मदद मिलती है.खाने के पैर्टन में बदलाव करने से शरीर बीमारी से बचता है.कई डाइटीशियन वजन घटाने के लिए व्रत रखने की सलाह देते हैं.
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मान्यता यह भी है कि व्रत और उपवास हमारे ऋषि – मुनियों का ही एक तरीका था मनुष्य के शरीर को स्वस्थ रखने का.साथ ही इससे अध्यात्म की ओर रुचि भी बढती है. हम महीने के 30 दिनों तक भोजन करते हैं, जिसके कारण शारीर रोग ग्रस्त होता है और हमारी आयु भी कम होती है. हर महीने में दो एकादशी आती है, मासिक शिवरात्रि आती है और भी कई त्योहार आते हैं. इन दिनों में अगर हम अपने पेट और शरीर को आराम देते हैं तो हमारा स्वास्थ्य ठीक रहता है.
परन्तु,आपकी जानकारी के लिए आपको बता दे अगर आपकी उम्र 18 वर्ष से कम है या आप बुजुर्ग हैं या फिर किसी बीमारी से पीड़ित हैं, तो आपको व्रत नहीं रखना चाहिए.कम वजन वाले, खाने से संबंधित बीमारी,गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी व्रत न रखने की सलाह दी जाती है.