हनुमान जी ने क्यों धारण किया था पंचमुखी रूप

By Tami

Published on:

पंचमुखी हनुमान

धर्म संवाद / डेस्क : हनुमान जी को श्री राम का परम भक्त माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि कलयुग में भगवान हनुमान बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं।उनकी भक्ति – भाव से पूजा –अर्चना करने से वे अपने भक्त के सारे संकट हर लेते है। इस वजह से ही उनका नाम संकटमोचन भी है। बजरंगबली ने कई अवतार धारण किये थे। उनमे से एक है पंचमुखी हनुमान रूप।चलिए जानते हैं हनुमान जी को यह रूप क्यों धारण करना पड़ा।

यह भी पढ़े : हनुमान जी को क्यों चीरना पड़ा था अपना सीना

[short-code1]

पौराणिक कथाओं के अनुसार,जब श्रीराम और रावण की सेना के बिच युद्ध चल रहा था और रावण अपने पराजय के समीप था तब इस समस्या से उबरने के लिए उसने अपने मायावी भाई अहिरावन की मदद ली जो मां भवानी का परम भक्त होने के साथ साथ तंत्र मंत्र का का बड़ा ज्ञाता था। उसने अपने माया से भगवान राम की सारी सेना को निद्रा में डाल दिया और श्रीराम एवं लक्ष्मण का अपरहण कर उन्हें पाताल लोक ले कर चला गया।  

WhatsApp channel Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

माया का असर ख़तम होने के बाद,विभीषण इस पूरी चाल को समझ गए और उन्होंने हनुमानजी को पाताल लोक जाने को कहा। फिर हनुमान जी श्रीराम को बचाने चल दिए पातळ की ओर। वहाँ सबसे पहले उन्हें मकरध्वज मिले जो कि हनुमान जी के ही पुत्र थे। उन्होंने सबसे पहले उसे हराया और फिर श्री राम और लक्ष्मण की खोज में चल गए। वहां उन्हें श्री राम और लक्ष्मण बंदी अवस्था में मिले। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि उनकी बलि चढ़ाई जाएगी। साथ ही उन्हें पांच दीपक पांच जगह पर पांच दिशाओं में मिले जिसे अहिरावण ने मां भवानी के लिए जलाए थे। अहिरावन को वरदान था कि उसका वध तभी हो सकता है जब कोई उन पांचो दीपक को एक साथ बुझाएगा। उस वक़्त हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धारण किया था।

See also  कैसे होती है माँ दुर्गा की सवारी निर्धारित, कौन सी सवारी किस बात का देता है संकेत

उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ हयग्रीव मुख एवं पूर्व दिशा में हनुमान मुख। इस प्रकार हनुमान 5 मुख धारण करके 5 दिशाओं के दीपकों को बुझाया और अहिरावण का वध करके राम-लक्ष्‍मण को उसक चंगुल से मुक्‍त करवाया।

हनुमान जी के पंचमुखी अवतार का महत्व

वानर मुख – हनुमान जी का पूर्व दिशा की ओर जो मुख है उसे वानर मुख कहा जाता है। माना जाता है वानर मुख दुश्मनों पर विजय प्रदान करता है।

गरुड़ मुख – हनुमान जी का पश्चिम दिशा वाला गरुड़ मुख कहलाता है। मान्यताओं के अनुसार यह मुख जीवन की रुकावटों और परेशानियों को खत्म करने का काम करता है।

वराह मुख्य –  उत्तर दिशा का मुख वराह मुख्य कहलाता है। माना जाता है कि हनुमान जी के इस मुख की आराधना करने से लंबी आयु, यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है।

नृसिंह मुख – हनुमान जी का दक्षिण दिशा में स्थित मुख नृसिंह मुख कहलाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नृसिंह मुख जीवन में आ रहे तनाव और मुश्किलों को दूर करता है।

अश्व मुख – हनुमान जी का पांचवा मुख आकाश की ओर है, जिसे अश्व या हयग्रीव मुख भी कहा जाता है। यह मुख मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला माना गया है।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .