धर्म संवाद/ डेस्क: नवरात्रि साल में 4 बार आती है. उनमे से चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि अहम है.यह त्योहार 9 दिनों तक चलता है. इन नौ दिनों में लोग देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं.इस दौरान मातारानी को प्रसन्न करने के लिए लोग 9 दिनों तक व्रत भी रखते हैं.मगर इसकी शुरुआत कैसे हुई थी चलिए जानते हैं.
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माना जाता है कि चैत्र नवरात्रि में नौ दिनों तक चलने वाले उपवास की शुरुआत त्रेता युग से हुई थी. कहते हैं श्रीराम ने ऋष्यमूक पर्वत पर आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवमी तिथि तक महिषासुरमर्दिनी देवी दुर्गा की विधि-विधान से पूजा की थी. ब्रह्मा जी ने ही श्री राम को माता दुर्गा के स्वरूप, चंडी देवी की पूजा करने की सलाह दी थी. 9 दिनों तक पूजा करने के बाद दशमी तिथि को उन्होंने लंका जाकर रावण का वध किया था.श्रीराम ने माता देवी से अध्यात्मिक बल, शत्रु पराजय और कामना पूर्ति का आर्शीवाद लिया.इस आधार पर कहा जा सकता है कि नवरात्रि का व्रत सबसे पहले श्रीराम ने रखा था.
आपको बता दे इस दौरान श्री राम ने अन्न जल ग्रहण नहीं किया था.भगवान बह्मा ने चंडी पूजा-पाठ के साथ ही राम जी को बताया कि, आपकी पूजा तभी सफल होगी जब आप चंडी पूजा और हवन के बाद 108 नील कमल भी अर्पित करेंगे.राम जी ने अपनी सेना की मदद से ये 108 नील कमल ढूंढ लिए, लेकिन जब रावण को यह बात चली तो उसने अपनी मायावी शक्ति से एक नील कमल गायब कर दिया.जब भगवान राम नील कमल चढाने लगे तो उनमें एक कमल कम निकला.यह देखकर वो चिंतित हुए और अंत में उन्होंने कमल की जगह अपनी एक आंख माता चंडी पर अर्पित करने का फैसला लिया.अपनी आंख अर्पित करने के लिए जैसे ही उन्होंने तीर उठाया तभी माता चंडी प्रकट हुईं और उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया.