शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण का जन्म अष्टमी तिथि को आधी रात के समय हुआ था.
इसे ‘रोहिणी नक्षत्र’ बताया गया है. यह समय ‘विष्णु काल’ का होता है, जो दिव्य ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक है.
इसके अलावा रात में जन्म लेने के पीछे उनके पूर्व जन्म की भी एक कहानी है। भगवान राम सूर्यवंशी थे , इसलिए उनका जन्म सुबह हुआ था ।
श्रीकृष्ण चंद्रवंशी हैं और चंद्रदेव उनके पूर्वज। चंद्रदेव के पुत्र बुध हैं, इसलिए भगवान ने जन्म के लिए बुधवार का दिन चुना।
वहीं रोहिणी चंद्रमा की पत्नी व नक्षत्र हैं, इसी कारण रोहिणी नक्षत्र में भगवान ने जन्म लिया।
वहीं अष्टमी तिथि शक्ति का प्रतीक मानी जाती है और भगवान कृष्ण ने माता देवकी के आठवें संतान के रूप में जन्म लिया था.
इसलिए बुधवार के दिन रोहिणी नक्षत्र में अष्टमी तिथि को भगवान कृष्ण का जन्म हुआ, जिस समय उनके सभी पूर्वज उपस्थित थे।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, चंद्रदेव की इच्छा थी कि वह उनके कुल में जन्म लें।
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