महाकाल की सवारी की परंपरा सदियों पुरानी है.
कहते हैं सवारी निकालने की परंपरा सिंधिया वंश के राजाओं से प्रारंभ हुई थी।
कहते हैं सवारी निकालने की परंपरा सिंधिया वंश के राजाओं से प्रारंभ हुई थी।
भगवान महाकाल को एक रथ में बैठाकर शहर में घुमाया जाता है. ये रथ चांदी का बना होता है और इससे कई प्रकार के फूलों से भी सजाया जाता है.
लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं और महाकाल के जयकारे लगाते हैं.
जुलूस में शामिल होने वाले विभिन्न कलाकारों में भंडारी, नागा साधु, ढोल नगाड़े वाले, तलवारबाज़, घुड़सवार भी शामिल होते हैं.
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