नवरात्रि में ज्वार या जौ बोने की परंपरा है, इसे खेत्री कहा जाता है. पर जौ आखिर क्यों बोते हैं?
भारतीय सनातन संस्कृति में पर्व और उनको मनाए जाने का विधान शास्त्रों में व्यवस्थित किया गया है।
इसमें धार्मिक परंपराओं के साथ ही वैज्ञानिक रहस्य भी छुपे हुए हैं।
तैत्तिरीय उपनिषद ने अन्न को ईश्वर कहा गया है – अन्नं ब्रह्मेति व्यजानात्।
ऋग्वेद में बहुत से अन्नों का वर्णन है, जिसमें यव अर्थात जौ की गणना भी हुई है।
पौराणिक मान्यताओं में जौ को अन्नपूर्णा का स्वरूप माना गया है। ऋषियों को सभी धान्यों में जौ सर्वाधिक प्रिय है।
इसी कारण ऋषि तर्पण जौ से किया जाता है।
पुराणों में कथा है कि जब जगतपिता ब्रह्मा ने ब्रह्मांड का निर्माण किया, तो वनस्पतियों के बीच उगने वाली पहली फसल जौ ही थी।
इसी से जौ को पूर्ण सस्य यानी पूरी फसल भी कहा जाता है।
यही कारण है कि नवरात्र में भगवती दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए जौ उगाए जाते हैं।
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