भारत में हाथ जोड़ कर प्रणाम करना हमारी संस्कृति है.

प्रणाम करना एक यौगिक प्रक्रिया भी है।

बड़ों को हाथ जोड़कर नमस्कार करने का वैज्ञानिक-धार्मिक महत्व और लाभ भी बताया गया है।

नमः का अर्थ है नमन करना और साकार का अर्थ है आपके द्वारा दिए गए नमन का आशीर्वाद मिलने के रूप में पूर्ण होना।

विज्ञान यह मानता है कि नमस्कार करते वक्त हथेलियों को आपस में जोड़े रखने से हृदय चक्र या आज्ञा चक्र में सक्रियता आती है। जिससे हमारी जागृति बढ़ती है।

मन भी शांत रहता है. साथ ही  हृदय में पुष्टता आती है और निर्भीकता बढ़ती है।

हथेली में ग्रहों का वास माना जाता है। ऐसे में नमस्कार के दौरान जब हथेली पर दबाव पड़ता है तो इससे ग्रह दोष में शांति मिलती है।

शरीर में दाईं ओर झड़ा और बांईं ओर पिंगला नाड़ी होती है तथा मस्तिष्क पर त्रिकुटि के स्थान पर शुष्मना का होना पाया जाता है। अत: नमस्कार करते समय झड़ा, पिंगला के पास पहुंचती है तथा सिर श्रृद्धा से झुका हुआ होता है।

माना जाता है की इडा और पिंडली नाड़ियां दोनों ही शिव और शक्ति के रूप हैं. जब हम दाएं हाथ को बाएं हाथ से जोड़कर हृदय के सामने रखते हैं, हमारे अंदर की दैवीय शक्ति हमें सकारात्मक ऊर्जा देती है.

मनुष्य के आधे शरीर में सकारात्मक आयन और आधे में नकारात्मक आयन विद्यमान होते हैं। हाथ जोड़ने पर दोनों आयनों के मिलने से ऊर्जा का प्रवाह होता है।

नमस्कार करने से शरीर में रक्त का प्रवाह भी सही होता है.