कुंडली के किसी भाव या राशि में जब बुध ग्रह और शुक्र ग्रह एक साथ विराजमान होते हैं यानी उनकी युति बनती है तब लक्ष्मी नारायण योग बनता है।
जब इस युति पर बृहस्पति ग्रह की दृष्टि पड़ती है तो इस योग में और भी प्रबलता आ जाती है और यह और भी ज्याद फलदायी हो जाता है।
लक्ष्मी नारायण योग के प्रभाव से व्यक्ति की बुद्धि और प्रतिभा प्रखर होती है और उसे कार्य में सफलता मिलती है.
कुंडली में जब लक्ष्मी नायारण योग बनता है तो व्यक्ति को सफलता के लिए अधिक संघर्ष की आवश्यकता नहीं पड़ती.
बुद्धि और विवेक में वृद्धि होती है। व्यक्ति की निर्णय लेन की क्षमता बेहतर होती है।
जब यह योग बनता है तो जातक को अचानक से धनलाभ होता है।
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