सनातन धर्म मे सप्तऋषियों का बहुत महत्व है। इन सात ऋषियों को वैदिक धर्म का संरक्षक माना गया है।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार सप्त ऋषियों की उत्पत्ति ब्रह्माजी के मस्तिष्क से हुई थी।

इन ऋषियों पर ब्रह्माण्ड में संतुलन बनाए रखने और मानव जाति को सही राह दिखाने की जिम्मेदारी दी गई थी ।

ऋषि वशिष्ठ   ऋषि वशिष्ठ राजा दशरथ के कुलगुरु थे। उनके द्वारा ही राजा दशरथ के चारों पुत्रों- राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न ने शिक्षा प्राप्त की थी।

ऋषि विश्वामित्र   विश्वामित्र ऋषि होने के साथ-साथ एक राजा भी थे। इन्होंने गायत्री मन्त्र की रचना की थी।

ऋषि कश्यप ऋषि कश्यप ब्रह्माजी के मानस-पुत्र मरीची के विद्वान पुत्र थे। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार, कश्यप ऋषि के वंशज ही सृष्टि के प्रसार में सहायक हुए। वे देवता और दैत्यों के पिता माने जाते थे।

ऋषि भारद्वाज   सप्तऋषियों में भारद्वाज ऋषियों को सबसे सर्वोच्च स्थान मिला हुआ है। ऋषि भारद्वाज ने आयुर्वेद सहित कई ग्रंथों की रचना की थी। द्रोणाचार्य इनके पुत्र थे।

ऋषि अत्रि   ऋषि अत्रि, ब्रह्मा के सतयुग के 10 पुत्रों में से एक माने जाते हैं। अनुसूया उनकी पत्नी थी। उन्हें प्राचीन भारत में बहुत बड़ा वैज्ञानिक भी माना जाता है।

ऋषि जमदग्नि   ऋषि जमदग्नि भगवान परशुराम के पिता थे ।  इनके आश्रम में इच्छित फलों को प्रदान करनी वाली गाय थी, जिसे कार्तवीर्य छीनकर अपने साथ ले गया था।

ऋषि गौतम   गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या थीं। इनके श्राप के कारण ही अहिल्या पत्थर बन गई थी। गौतम ऋषि अपने तपबल पर ब्रह्मगिरी के पर्वत पर मां गंगा को लेकर आए थे।