महारानी अहिल्याबाई होल्कर इंदौर के होलकर राज्य के संस्थापक महाराज मल्हारराव होलकर के पुत्र खंडेराव की पत्नी थी.

पति की मौत के बाद अहिल्याबाई ने सती होने का फैसला किया था.लेकिन ससुर मल्हारराव होलकर ने उन्हें ऐसा करने से रोका. 1766 में मल्हारराव की मृत्यु के बाद रानी अहिल्याबाई ने शासन अपने हाथ में लिया.

उन्होंने कई युद्धों में अपनी सेना का कुशलता के साथ नेतृत्व किया. अपने पति और ससुर की मृत्यु के बाद उन्होंने इंदौर राज्य में विधावाओं और अनाथ लोगों के लिए आश्रम बनवाए.

साथ ही देशभर में तमाम मंदिरों का जीर्णोद्धार कराने के अलावा धर्मशालाओं, भोजनालय और बावरियों का भी निर्माण कराया.

गुजरात के सोमनाथ मंदिर पे बहुत बार हमले हुए.  1024 और 1026 में अफगानिस्तान के सुल्तान महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर पर आक्रमण कर उसे लूट लिया. इसके तकरीबन 750 साल बाद 1783 में अहिल्याबाई ने पुणे के पेशवा के साथ मिलकर ध्वस्त मंदिर के पास अलग मंदिर का निर्माण कराया.

मंदिर के गर्भगृह को जमीन के अंदर बनाया गया। मूल मंदिर स्थल पर सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट का बनाया नया मंदिर स्थापित है।

इसी तरह वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर को नया स्वरूप देने में भी अहिल्याबाई का योगदान था। काशी विश्वनाथ मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण 1780 में अहिल्याबाई ने ही करवाया था।

नासिक के पश्चिम-दक्षिण में स्थित त्र्यम्बक में उन्होंने पत्थर के एक तालाब और छोटे से मंदिरों का निर्माण करवाया।

गया में उन्होंने विष्णुपद मंदिर के पास ही राम, जानकी और लक्ष्मण की मूर्तियों वाले एक मंदिर का निर्माण करवाया। पुष्कर में भी उन्होंने मंदिर और धर्मशाला बनवाए।

मध्य पदेश के भिंड में स्थित आलमपुर में एक हरिहरेश्वर मंदिर बनवाया। आज भी वहाँ विधि-विधान से पूजा-पाठ जारी है।