भगवान महावीर को जैन धर्म का 24वा तीर्थंकर माना जाता है.
भगवान महावीर ने संसार को जो पंचशील सिद्धांत दिया था, वो आज भी लोगों को मार्गदर्शक बना हुआ है.
भगवान महावीर का पहला सिद्धांत है अहिंसा. इस सिद्धांत में उन्होंने जैनों लोगों को हर परिस्थिति में हिंसा से दूर रहने का संदेश दिया है.
उन्होंने बताया है कि भूल कर भी किसी को कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए.
दूसरा सिद्धांत है सत्य. भगवान महावीर कहते हैं, हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ.
जो बुद्धिमान सत्य के सानिध्य में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है.
तीसरा सिद्धांत है अस्तेय. अस्तेय का पालन करने वाले किसी भी रूप में अपने मन के मुताबिक वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं.
ऐसे लोग जीवन में हमेशा संयम से रहते हैं और सिर्फ वही वस्तु लेते हैं जो उन्हें दी जाती है.
चौथा सिद्धांत है ब्रह्मचर्य. इस सिद्धांत को ग्रहण करने के लिए जैन व्यक्तियों को पवित्रता के गुणों का प्रदर्शन करने की आवश्यकता होती है.
पांचवा और अंतिम सिद्धांत है अपरिग्रह. भगवान महावीर कहते हैं कि जो व्यक्ति सजीव या निर्जीव वस्तुओं का संग्रह स्वयं करता है या दूसरों से कराता है, उसे कभी भी दुखों से मुक्ति नहीं मिल सकती.