वास्तु शास्त्र में घर के निर्माण से जुड़े कई नियम बताए गए हैं, जिसके अनुसार निर्माण से घर में सुख शांति बनी रहती है.
अगर आप नया घर बनवाने चाहते हैं तो सबसे पहले इसके लिए शुभ माह का चयन करें. वैशाख, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष और फाल्गुन मास में घर बनाना बहुत शुभ होता है.
घर बनवाने से पहले घर की नींव खुदवाई जाती है. नींव खुदवाते समय धातु का एक सर्प और एक कलश रखना चाहिए.
उत्तर व पूर्व की दिशा में सबसे पहले खुदाई करवाएं। वहीं, पश्चिम की दिशा को सबसे अंत में खोदें व दक्षिण की दिशा में आप नींव भरने का कार्य करें।
हमेशा उत्तर व पूर्व में बड़ी से बड़ी खिड़की बनाने का प्रयास करें। जबकि दक्षिण व पश्चिम की दिशा में आप खिड़की का साइज बेहद कम रखने की कोशिश करें।
घर बनवाते समय पानी के नल की दिशा उत्तर या पूर्व होनी चाहिए. कभी भी भूल से भी किसी भी नल को दक्षिण या पश्चिम दिशा में ना लगाएं.
वास्तु शास्त्र में घर का आकार चौकोर तथा आयताकार सबसे अच्छा माना गया है. ध्यान रहे आयताकार मकान में चौड़ाई की दुगुनी से अधिक लंबाई नहीं होनी चाहिए.
यदि आपका प्लाट वर्गाकार है, तो उसमें आगे कुछ जगह को छोड़ देना चाहिए और फिर मकान बनाना शुरू करना चाहिए.
घर को कभी भी कछुए के आकार या कुंभ के आकार में नहीं बनाना चाहिए. ये सदैव पीड़ा देते हैं.
5 कोने वाला मकान संतान की बर्बादी करता है. 3 और 6 कोने वाला घर आयु का क्षयकारक होता है. वहीं 8 कोने वाला घर रोग उत्पन्न करता है.
आठ कोने के मकान लंबी बीमारी, मुसीबत और मृत्यु का संकेत देते हैं.
वास्तु के अनुसार पूजा कराने के बाद ही नए घर में शिफ्ट होना चाहिए.
वास्तु पूजा के साथ ही कुलदेव पूजा भी करनी चाहिए. इससे हर तरह का वास्तु दोष मिट जाता है और देवता घर के सदस्यों की रक्षा करते हैं.