सनातन धर्म में हर एक घर में  भगवान के लिए एक अलग रूम या फिर कोण बनवाया जाता है।

रोजाना नियमित रूप से पूजा-अर्चना वहाँ की जाती है।

वास्तु शास्त्र के अनुसार , घर के मंदिर के कुछ नियम हैं।

वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा या फिर ईशान कोण में होना चाहिए।

अगर ईशान कोण में मंदिर बन पाना संभव ना हो तो उत्तर या पूर्व दिशा में मंदिर का निर्माण करवाएं।

पूजाघर कभी भी शयनकक्ष में नहीं बनवाना चाहिए। अगर उपाए न हो तो वह शयनकक्ष विवाहितों के लिए नहीं होना चाहिए।

पूजा के बाद और पूजा से पहले उसे नियमित रूप से साफ करें।

पूजाघर के आस पास झाड़ू या कूड़ेदान आदि नहीं रखना चाहिए।

पूजाघर में प्रतिमाएं कभी भी प्रवेश द्वार के सम्मुख नहीं होना चाहिए।

पूजा घर सीढियों के नीचे न बनवाए।

पूजा घर में गैर जरूरी चीजे और मृतक सदस्यों की तस्वीर ना रखें।