धर्म संवाद / डेस्क : केदारनाथ के कपाट खुलने के बाद, 12 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट भी खुल गए। इस बार धाम के कपाट खुलने पर एक बेहद ही शुभ संकेत मिला है जिसे जानकार सभी पुजारी बहुत ही खुश हो गए। धाम के कपाट खुलने के बाद कुछ ऐसा देखा गया, जिसे पुरोहितों ने चमत्कार और शुभ संकेत बताया।
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दरअसल बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद करते समय भगवान के विग्रह को एकघृत कंबल (देसी घी में भिगोया गया ऊन का कंबल) ओढ़ाया जाता है। इस बार भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति पर 6 महीने पहले मंदिर के कपाट बंद करने से पहले जो घृत कंबल ओढ़ाया गया था, वह ठीक उसी अवस्था में मिला है, जैसा कपाट बंद करते वक्त था। ये एक बेहद शुभ संकेत माना जाता है। इसके बाद परंपरानुसार भविष्यवाणी की गई कि इस साल देश में कहीं भी सुखा नहीं पड़ेगा और खुशहाली रहेगी।
आपको बता दे शीत काल में बद्रीनाथ धाम के कपाट 6 महीने के लिए बंद किए जाते हैं। जब कपाट बंद होते हैं तब भगवान को घृत कंबल ओढ़ाया जाता है। इसमें कंबल घी का लेप लगाया जाता है। 12 मई को जब बदरीनाथ मंदिर के कपाट खोले गए तो घृत कंबल पर लगा घी का लेप कम तापमान के में भी सूखा नहीं था। बल्कि जैसा लगाया था ठीक वैसा ही मिला।
मान्यता है कि घृत कंबल से अगर घी सूख जाता है तो हिमालय क्षेत्र में सूखे और देश में मुसीबत आती है। घी और कंबल पूर्व स्थिति में मिलना बेहद शुभ संकेत है, जिसे देखकर तीर्थ पुरोहित बहुत खुश हुए। इसके बाद परंपरानुसार भविष्यवाणी की जाती है । इस बार भविष्यवाणी की गई कि इस साल देश में कहीं भी सुखा नहीं पड़ेगा और खुशहाली रहेगी।