सुप्तेश्वर गणेश मंदिर : देश का इकलौता मंदिर जहां कल्कि अवतार में पूजे जाते हैं भगवान गणेश

By Tami

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सुप्तेश्वर गणेश मंदिर

धर्म संवाद / डेस्क : आपने गणेश मंदिरों में भगवान गणेश को उनके वाहन मूषकराज की सवारी करते देखा होगा परंतु एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान गणेश मूषक की नहीं बल्कि घोड़े की सवारी करते हुए दिखते हैं। साथ ही यहाँ गणपती का आकार भी बढ़ते रहता है। जी हाँ, जबलपुर के रतन नगर की पहाड़ियों पर सुप्तेश्वर गणेश मंदिर स्थित है। यहाँ भगवान गजानन की स्वयंभू प्रतिमा स्थापित है। करीब 50 फीट की ऊंचाई पर भगवान गणेश की प्रतिमा शिला स्वरूप में हैं। गणेश जी के घोड़े की सवारी करने के वजह से माना जाता है कि ये कल्कि अवतार में यहाँ विराजित हैं।

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भगवान गणेश की प्रतिमा 50 फुट ऊंची है। जिस समय इनका प्रथम पूजन किया गया था तब यह 20 फुट की थी। भगवान गणेश की विशाल सूंड धरती के बाहर नजर आती है, बाकी का शरीर धरती के अंदर है। यह मंदिर करीब डेढ़ एकड़ क्षेत्र में फैला है। यहां भक्त मनोकामनाओं के लिए अर्जी लगाते हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर भगवान गणेश को सिंदूर चढ़ाते हैं ।

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स्थानीय लोगों का कहना है कि  रतननगर की पहाडिय़ों को अवैध तरीके से तोड़ा जा रहा था, तब एक महिला भक्त को भगवान के दर्शन हुए । कहा जाता है कि राइट टाउन निवासी श्रीमती सुधा राजे सिंधिया जी को सपना आया जिसमे भगवान गणेश ने मंदिर स्थापना की बात कही थी। ऐसे  सपने करीब 4 साल तक आते रहे । उसके बाद उन्होंने अपने पती को बताई। साथ ही वे उन्हे उस जगह पर भी ले गई। बताया जाता है कि जब श्रीमती राजे उस पहाड़ी पर गई तो वहाँ कोई रास्ता नहीं था । तभी पहाड़ी के ऊंची सतह पर पत्थर के ऊपर उठा हुआ उभार दिखाई दिया । इसके बाद 4 सितंबर 1989 को भगवान गणेश को सिंदूर चढ़ा कर पूजा आरंभ की गई। जैसे ये किस्सा आस पास के लोगों तक पहुंचा तो यहाँ भक्तों की भीड़ लग गई। लोग यहाँ पूजा कर मन्नतें मांगने आने लगे। लोगों की मन्नतें पूरी होती गई और यहाँ आने वाले लोगों की संख्या भी साल डर साल बढ़ती गई।

भगवान गणेश का वाहन चूहा है मगर सुप्तेश्वर गणेश मंदिर मे स्थित प्रतिमा में वे घोड़े पर सवार है। यहाँ मौजूद गणेश जी की प्रतिमा पाताल तक समाई है। मान्यता है कि भगवान गणेश की 40 दिन नियमित पूजा अर्चना करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मनोकामना पूरी होने के बाद लोग दर्शन-अनुष्ठान करते हैं। जो सिंदूर चढ़ाने की अर्जी लगाते हैं, वे लोग सिंदूर चढ़ाते हैं। 

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आपको बात दे कि सुप्तेश्वर गणेश मंदिर मे कोई गुंबद या दीवार नहीं है। भक्तों को प्राकृतिक पहाड़ी में जिस स्वरूप में भगवान हैं उसी स्वरूप में पूजा करने का अवसर मिलता है। गणेशोत्सव के दौरान प्रत्येक दिन सुबह धार्मिक अनुष्ठान एवं शाम को महाआरती की जाती है। तीन महीने में एक बार सिंदूर चढ़ाने की रस्म अदा की जाती है। इसके अलावा गणेश चतुर्थी से 11 दिन गणेशोत्सव में विशेष पूजा अर्चना की जाती है। वहीं, श्रीराम नवमीं और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी में भी मंदिर में विशेष पूजा का विधान है।
 

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .