रुद्राष्टकम स्तुति- शत्रुओं के नाश के लिए करे ये स्तुति

By Tami

Published on:

रुद्राष्टकम स्तुति

धर्म संवाद / डेस्क : सनातन धर्म में शिव जी आसानी से प्रसन्न हो जाने वाले देवता हैं। वे सिर्फ साफ मन से अर्पित किए गए गंगाजल से ही प्रसन्न हो जाते हैं। इसलिए उन्हें भोलेनाथ भी कहा जाता है। यदि कोई शत्रु आपको परेशान कर रहा है तो लगातार 7 दिनों तक शिव रुद्राष्टकम स्तुति का पाठ करे। स्वयं श्रीराम ने यह पाठ किया था रावण से विजय प्राप्त करने हेतु।

श्री शिव रूद्राष्टकम

[short-code1]

नमामीशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम् ।

WhatsApp channel Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now


निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाश माकाशवासं भजेऽहम् ॥
 
निराकार मोंकार मूलं तुरीयं, गिराज्ञान गोतीतमीशं गिरीशम् ।
करालं महाकाल कालं कृपालुं, गुणागार संसार पारं नतोऽहम् ॥
 
तुषाराद्रि संकाश गौरं गभीरं, मनोभूत कोटि प्रभा श्री शरीरम् ।
स्फुरन्मौलि कल्लोलिनी चारू गंगा, लसद्भाल बालेन्दु कण्ठे भुजंगा॥

यह भी पढ़े : द्वादश ज्योतिर्लिंग स्त्रोतम | Dwadash Jyotirlinga Strotam
 
चलत्कुण्डलं शुभ्र नेत्रं विशालं, प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।
मृगाधीश चर्माम्बरं मुण्डमालं, प्रिय शंकरं सर्वनाथं भजामि ॥
 
प्रचण्डं प्रकष्टं प्रगल्भं परेशं, अखण्डं अजं भानु कोटि प्रकाशम् ।
त्रयशूल निर्मूलनं शूल पाणिं, भजेऽहं भवानीपतिं भाव गम्यम् ॥
 
कलातीत कल्याण कल्पान्तकारी, सदा सच्चिनान्द दाता पुरारी।
चिदानन्द सन्दोह मोहापहारी, प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ॥
 
न यावद् उमानाथ पादारविन्दं, भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।
न तावद् सुखं शांति सन्ताप नाशं, प्रसीद प्रभो सर्वं भूताधि वासं ॥
 
न जानामि योगं जपं नैव पूजा, न तोऽहम् सदा सर्वदा शम्भू तुभ्यम् ।
जरा जन्म दुःखौघ तातप्यमानं, प्रभोपाहि आपन्नामामीश शम्भो ॥
 
रूद्राष्टकं इदं प्रोक्तं विप्रेण हर्षोतये
ये पठन्ति नरा भक्तयां तेषां शंभो प्रसीदति।। 

See also  शिव पुराण की 10 रोचक बातें

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .