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अश्वत्थामा के दर्शन करने वाले पायलट बाबा

By Tami

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अश्वत्थामा के दर्शन करने वाले पायलट बाबा

धर्म संवाद / डेस्क : अश्वत्थामा महाभारत के एक प्रमुख पात्र हैं, जिन्हे चिरंजीवी माना जाता है। यानि की उन्हे अमर माना जाता है। अश्वत्थामा के जीवित होने की कथा महाभारत और पुराणों में वर्णित है। कथाओं के अनुसार, अश्वत्थामा को अपने अपराधों के लिए भगवान कृष्ण द्वारा श्राप मिला, जिसके अनुसार वह अपने अपराधों के लिए हमेशा पीड़ित रहेगा और कभी भी शांति नहीं प्राप्त कर पाएगा। कलयुग के अंत तक उसे भटकना होगा। कहते हैं कि आज भी अश्वत्थामा जीवित है। पृथ्वीराज चौहान ने भी उन्हे देखा है। उनके अलावा कई ऐसे लोग हैं जो दावा करते हैं हैं कि उन्होंने अश्वत्थामा को देखा है। उन्मे से ही एक थे पायलट बाबा ।

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पायलट बाबा कौन थे?

पायलट बाबा का असली नाम कपिल सिंह था। वे भारतीय वायुसेना के पूर्व विंग कमांडर थे. उन्होंने 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान की जंग में हिस्सा लिया था. अपने सैन्य करियर के दौरान बहादुरी और समर्पण के लिए उन्हे ‘पायलट बाबा’ के नाम से जाना जाता था. करियर के दौरान आई परेशानियों के बाद उन्होंने आध्यात्मिक जीवन अपना लिया था . संन्‍यास ग्रहण करने के बाद उन्‍होंने 16 वर्षों तक हिमालय में तपस्‍या की और वहां के अनुभवों को अपनी किताबों में लिखा.  अपनी किताबों Unveils mystery of Himalaya (Part 1) और  Discover secret of the Himalaya (Part 2) में उन्‍होंने अपने अनुभवों को पिरोया. इनमें उन्‍होंने दावा कि वो महाभारत कालीन अश्‍वत्‍थामा से मिले.

ऐसा कहा जाता है कि हिमालय के सुदूर इलाके में अपने एक ध्यान चरण के दौरान उन्होंने अश्वत्थामा को देखा जो उन्हें एक दैवीय प्राणी के रूप में नहीं, बल्कि एक ऐसे इंसान के रूप में दिखाई दिए जो अपने माथे पर एक निशान के साथ लंबा खड़ा था और अमरता का अभिशाप झेल रहा था। 1996 में एक इंटरव्‍यू के दौरान उन्‍होंने अपनी जिंदगी के टर्न लेने का किस्‍सा सुनाया. उन्‍होंने बताया था कि एक बार जब वह नॉर्थ-ईस्‍ट में मिग एयरक्राफ्ट के साथ उड़ान भर रहे थे तो उनके फाइटर प्‍लेन में तकनीकी खराबी हो गई और वो उनके कंट्रोल से बाहर हो गया. उन्‍होंने कुछ ही पलों में अपने जिंदा रहने की आशा खो दी और अपने आध्‍यात्मिक गुरु हरि बाबा का स्‍मरण किया. उन्‍होंने महसूस किया कि उनके गुरु कॉकपिट में मौजूद हैं और सेफ लैंडिंग के लिए गाइड कर रहे हैं. प्‍लेन ने सुरक्षित लैंडिंग की और वो सकुशल बाहर आए. इस चमत्‍कारिक घटना के बाद उनको वैराग्‍य प्राप्‍त हुआ. उन्‍होंने 33 साल की उम्र में वायुसेना से रिटायरमेंट लिया और संन्‍यास ले लिया. 

पायलट बाबा ने इसी तरह महावतार बाबाजी तथा कृपाचार्य से मिलने का भी दावा किया. अपनी किताबों में उन्‍होंने समाधि के रहस्‍यों और विज्ञान के बारे में भी बताया. उनका दावा था कि उन्‍होंने 110 बार समाधि ली. पायलट बाबा को लंबे समय तक समाधि में जाने के लिए जाना जाता था, जिसके दौरान उनका शरीर धीमा हो जाता था, और वे मृत्यु के करीब पहुँच जाते थे। इस दुर्लभ क्षमता ने उन्हें अर्ध कुंभ में साधुओं के बीच आकर्षण का केंद्र बना दिया। उनकी शिक्षाएँ, जो चेतना को जागृत करने और पाँच तत्वों के बीच एकता प्राप्त करने पर केंद्रित थीं, ने जापान से लेकर संयुक्त राज्य अमेरिका तक के अनुयायियों को आकर्षित किया है।

पायलट बाबा ने 20 अगस्त, 2024 को अपनी अंतिम सांस ली और ईश्वर से जुड़ने के अपने उद्देश्य को पूरा करते हुए पृथ्वी लोक को छोड़ दिया। पायलट बाबा का निधन 86 साल की उम्र में हुआ। पायलट बाबा को अंतिम समाधि देवभूमि उत्‍तराखंड में दी गई।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .

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