हनुमान जी की पूजा नहीं करते इस गाँव के लोग,जाने क्या है नाराज़गी की वजह

By Tami

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धर्म संवाद / डेस्क : हनुमान जी की पूजा करने से वो सारे पाप हर लेते हैं. हनुमान जी के भक्तों के मन में भय नहीं होता. वो किसी भी भूत, पिसाच को अपने भक्तों के निकट नहीं आने देते. यही कारण है कि हिन्दू धर्म में हनुमान जी की पूजा का विशेष महत्त्व है. पर एक गाँव ऐसा भी है जो हनुमान जी की पूजा नहीं करता. त्रेता युग से ही इस गाँव के लोग बजरंगबली से नाराज़ है. चलिए जानते हैं इस नाराज़गी की वजह.

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रामायण के अनुसार, जब राम और रावण के बीच युद्ध होता है तो लक्ष्मण मूर्छित हो जाते है. दरअसल, उन्हें मेघनाथ का बाण लगता है और वो गिर जाते है. उनकी हालत बहुत ही नाजुक हो गई थी. तब वैद्य सुषेण ने हनुमान जी को संजीवनी बूटी लाने को कहा था. संजीवनी बूटी द्रोणागिरी पर मिलती थी.

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जब हनुमान जी द्रोणागिरी पर्वत पहुंचे तो वे संजीवनी बूटी को पहचान नहीं पाए . समय कम था इस वजह से वे पूरा पर्वत उखाड़ लाये थे . जिस द्रोणागिरी पर्वत को उठाकर वे लंका ले गए थे, वो उत्तराखंड के जोशीमठ से करीब 50 किमी दूर मौजूद नीति गांव में है. द्रोणागिरी पर्वत को नीति गांव के लोग देवता मानते हैं. यहां के लोगों का कहना है कि हनुमानजी पूरे द्रोणागिरी पर्वत को नहीं ले गए थे, बल्कि पर्वत का एक हिस्सा उखाड़कर ले गए थे. स्‍थानीय लोगों का मानना है कि हनुमान जी ने जब द्रोणागिरी पर्वत का एक हिस्‍सा उखाड़ा तो उस समय देवता साधना कर रहे थे. इस वजह से उनकी साधाना भंग हो गई. इतना ही नहीं लोग ये भी कहते हैं कि हनुमान जी ने पहाड़ देवता की दाईं भुजा उखाड़ दी थी. यही कारण है कि नीति गांव के लोग आज भी हनुमान जी की पूजा नहीं करते हैं.

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साथ ही लोगों में ये भी जनश्रुति है कि  जब हनुमान जी ने  एक महिला से संजीवनी बूटी के बारे में पूछा तो उन्होंने द्रोणागिरि पर्वत की तरफ इशारा कर के उन्हें जानकारी दी थी. लेकिन हनुमान जी संजीवनी बूटी को पहचान नहीं पाए और पर्वत का एक हिस्सा ले गए. वहीं, ये बात जब गांव वालों को पता चला तो उन्होंने वृद्ध महिला का बहिष्कार कर दिया. 

आपको बता दे हर साल जून में द्रोणागिरी पर्वत की एक विशेष पूजा होती है. इस पूजा में बहुत सारे लोग शामिल होते हैं. इस पूजा में  महिलाओं के हाथ का दिया कुछ भी उपयोग नहीं किया जाता है. उस वृद्ध महिला की वजह से उनके देवता को हानि हुई इस वजह से महिलाओं को इस पूजा में हाथ लगाने नहीं लिया जाता . आज भी द्रोणागिरी पर्वत की तरफ देखें तो ऊपरी हिस्सा कटा या टूटा हुआ दिखाई देता है. 

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .