धर्म संवाद / डेस्क : हर साल शारदीय नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। हर दिन देवी को विशेष भोग (प्रसाद) अर्पित किया जाता है। यह भोग केवल भोजन नहीं बल्कि आस्था, परंपरा और शक्ति का प्रतीक है।
यह भी पढ़े : नवरात्रि 2025: जानें 9 दिनों में कौन-सा रंग पहनना है शुभ
नौ दिन और नौ भोग
| दिवस | अवतार | शुभ भोग | महत्व |
| Day 1 | Maa Shailputri (शैलपुत्री) | देसी घी | स्वास्थ्य और रोगों से मुक्ति |
| Day 2 | Maa Brahmacharini (ब्रह्मचारिणी) | मिश्री | तप, शांति और दीर्घायु |
| Day 3 | Maa Chandraghanta (चंद्रघंटा) | खीर | सुख-शांति और दुःखों से मुक्ति |
| Day 4 | Maa Kushmanda (कुश्मांडा) | मल्पुआ | बुद्धि और मानसिक संतुलन |
| Day 5 | Maa Skandamata (स्कंदमाता) | केला | परिवारिक सुख और समृद्धि |
| Day 6 | Maa Katyayani (कात्यायनी) | फल | सौभाग्य और धन-संपन्नता |
| Day 7 | Maa Kalaratri (कालरात्रि) | गुड़ या गुड़ की मिठाई | बुरी शक्तियों से रक्षा |
| Day 8 | Maa Mahagauri (महागौरी) | नारियल | पवित्रता और नई शुरुआत |
| Day 9 | Maa Siddhidatri (सिद्धिदात्री) | तिल | सिद्धि, सफलता और आध्यात्मिक उन्नति |
भोग अर्पण करने के सुझाव
- पूजा से पहले हाथ और मन को शुद्ध करें।
- केवल ताज़ी और सात्विक सामग्री का प्रयोग करें।
- भोग स्वच्छ पात्र में ही अर्पित करें।
- भोग के बाद आरती और मंत्र-पाठ अवश्य करें।
- उपवास करने वाले भक्त, भोग अर्पित करने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करें।
सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व
- एकता और भाईचारा: भोग साझा करने से परिवार और समाज में प्रेम बढ़ता है।
- आध्यात्मिक अनुभव: व्रत और भोग से आत्मा की शुद्धि होती है।
- परंपरा का संरक्षण: यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है।
- स्वास्थ्य लाभ: तिल, फल और नारियल जैसे भोग पौष्टिक और लाभकारी हैं।

FAQ
- . क्या हर क्षेत्र में एक ही भोग अर्पित किया जाता है?
नहीं, क्षेत्रीय परंपराएँ भिन्न होती हैं। दक्षिण भारत में स्थानीय फल या मिठाइयाँ भोग में शामिल होती हैं। - . डेयरी उत्पाद से एलर्जी हो तो क्या करें?
नारियल दूध, सूखे मेवे या अन्य सात्विक विकल्प भोग में अर्पित किए जा सकते हैं। - . क्या उपवास केवल भोग ग्रहण करने से ही टूटता है?
यह स्थानीय परंपराओं पर निर्भर करता है। कहीं व्रत शाम को खोला जाता है, तो कहीं भोग अर्पण के बाद। - . भोग की सामग्री की शुद्धता क्यों जरूरी है?
ताज़ी और शुद्ध सामग्री से पूजा में आस्था और पवित्रता बनी रहती है।






