महाशिवरात्रि में कुछ ही दिन बाकि है इस दिन महादेव के भक्तो की भीड़ उमड़ती है. अपने मनोकामनाए पूरी करने के लिए स्त्री पुरुष Mahashivratri में पूजा करते है. इस दिन महिलाएं अपने हाथो में एक से बढ़ कर एक मेहंदी के डिजाइन लगाती है. अगर मेहंदी लगाने के लिए डिजाइन की तलाश में हैं, तो आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से मेहंदी डिजाइंस के कुछ विकल्प बताएंगे और इस तरह की मेहंदी को आप कैसे हाथों पर लगा सकती हैं, यह भी हम आपको इस आर्टिकल में बताएंगे।
Mahashivratri top 5 Mehndi Designs
1. Mehndi Designs
![](https://dharmsamvad.com/wp-content/uploads/2024/03/see-pics-of-trishul-mehndi-designs.jpg)
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2. Mehndi Designs
![](https://dharmsamvad.com/wp-content/uploads/2024/03/Untitled-design-32-1024x614.jpg)
3. Mehndi Designs
![](https://dharmsamvad.com/wp-content/uploads/2024/03/Untitled-design-34-1024x614.jpg)
4. Mehndi Designs
![](https://dharmsamvad.com/wp-content/uploads/2024/03/Untitled-design-35-1024x614.jpg)
5 . Mehndi Designs
![](https://dharmsamvad.com/wp-content/uploads/2024/03/Untitled-design-36-1024x614.jpg)
अकसर पूछे जाने वाले सवाल | FAQ
महाशिवरात्रि की असली कहानी क्या है?
उत्तर में शिवजी ने पार्वती को ‘शिवरात्रि’ के व्रत का विधान बताकर यह कथा सुनाई- ‘एक गाँव में एक शिकारी रहता था।पशुओं की हत्या करके वह अपने कुटुम्ब को पालता था।वह एक साहूकार का ऋणी था, लेकिन उसका ऋण समय पर न चुका सका।क्रोधवश साहूकार ने शिकारी को शिवमठ में बंदी बना लिया।
महाशिवरात्रि का पर्व क्यों मनाया जाता है?
फाल्गुन चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव ने वैराग्य छोड़कर देवी पार्वती संग विवाह करके गृहस्थ जीवन में प्रवेश किया था। इसी वजह से हर वर्ष फाल्गुन चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह की खुशी में महाशिवरात्रि का त्योहार मनाया जाता है।
महाशिवरात्रि का इतिहास क्या है?
हिंदू पौराणिक कथाओं और मान्यताओं के अनुसार, महाशिवरात्रि कई कारणों से महत्व रखती है। एक मान्यता यह है कि इस दिन भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह हुआ था, और यह त्योहार उनके दिव्य मिलन का जश्न मनाने के लिए हर साल मनाया जाता है।साथ ही यह शिव और शक्ति के मिलन का भी प्रतीक है।
सावन के महीने में शिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?
आपको बता दें, हर साल श्रावण माह में आने वाली चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है. कहते हैं कि भगवान शिव ने अमृत मंथन के दौरान निकले हलाहल नामक विष को अपने कंठ में रख लिया था.इसी विष की तपन को शांत करने के लिए इस दिन सभी देवताओं ने उनका जल और पंचामृत से अभिषेक किया था.इसलिए भगवान शिव नीलकंठ कहलाए.
शिवरात्रि इतनी शक्तिशाली क्यों है?
यह उन लोगों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है जो पारिवारिक परिस्थितियों में हैं, और दुनिया में महत्वाकांक्षी लोगों के लिए भी। जो लोग पारिवारिक परिस्थितियों में रहते हैं वे महाशिवरात्रि को शिव की शादी की सालगिरह के रूप में मनाते हैं। सांसारिक महत्वाकांक्षा वाले लोग उस दिन को उस दिन के रूप में देखते हैं जिस दिन शिव ने अपने सभी शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी।
शिवरात्रि के दिन क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए?
भगवान शिव की आराधना करते समय इस बात का ध्यान रखें कि उन्हें कमल, कनेर, केतकी आदि फूल बिल्कुल भी चढ़ाएं। महाशिवरात्रि के दिन मांस-मदिरा के अलावा तामसिक भोजन(लहसुन-प्याज) का सेवन बिल्कुल भी न करें। महाशिवरात्रि के दिन जिन लोगों ने व्रत रखा है। वह लोग दिन के समय बिल्कुल भी न सोएं बल्कि भगवान शिव की आराधना करें।
शिवरात्रि की क्या महिमा है?
महाशिवरात्रि एक अवसर और संभावना है, जब आप स्वयं को, हर मनुष्य के भीतर बसी असीम रिक्तता के अनुभव से जोड़ सकते हैं, जो कि सारे सृजन का स्त्रोत है। एक ओर शिव संहारक कहलाते हैं और दूसरी ओर वे सबसे अधिक करुणामयी भी हैं। वे बहुत ही उदार दाता हैं। यौगिक गाथाओं में वे, अनेक स्थानों पर महाकरुणामयी के रूप में सामने आते हैं।
महाशिवरात्रि की शुरुआत कब हुई?
उत्तर भारतीय पञ्चाङ्ग के अनुसार, फाल्गुन माह में आने वाली मासिक शिवरात्रि को महा शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 8 मार्च 2024 को रात 09.57 से शुरू होगी और अगले दिन 09 मार्च 2024 को शाम 06.17 मिनट पर समाप्त होगी.