बरसाना की लट्ठमार होली – कैसे है राधा कृष्ण से संबंधित

By Tami

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धर्म संवाद / डेस्क : होली पूरे देश में अलग –अलग तरीके से मनाई जाती है। कही रंगों से होली खेली जाती है तो कही फूलों की होली खेली जाती है। उसी तरह बरसाने में विश प्रसिद्ध लट्ठमार होली खेली जाती है। लट्ठमार होली को देखने के लिए दुनियाभर से सैलानी बरसाना गांव पहुंचते हैं और इस रंग के उत्सव का हिस्सा बनते हैं।  लट्ठमार होली का त्योहार होली से कुछ दिन पहले मनाया जाता है । इसका इतिहास भी काफी अनूठा है।

माना जाता है लट्ठमार होली भगवान श्रीकृष्ण के काल से ही चली आ रही है। बरसान राधा रानी की जन्मभूमि है और पौराणिक कथाओं के अनुसार नंदगांव से भगवान श्रीकृष्ण अपने ग्वालों के साथ बरसाना में होली खेलने आते थे। इस परंपरा को आज भी इसी तरह निभाया जा रहा है। लट्ठमार होली के लिए महिलाएं पुरुषों पर लट्ठ बरसाती हैं और पुरुष अपना बचाव करते हैं। लेकिन ​इस लट्ठमार में आपसी प्रेम, विश्वास और सम्मान छिपा हुआ है। यह त्योहार एकता और भाईचारे का प्रतीक है।

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प्राचीन कहानियों के अनुसार, भगवान कृष्ण नंद के गांव में रहते थे, जबकि राधा बरसाना में थीं। एक बार, कृष्ण जी राधा से मिलने बरसाना पहुंचे, जहां उन्होंने राधा और उनकी सखियों को चिढ़ाना शुरू कर दिया। इससे नाराज होकर राधा रानी अपनी सखियों के साथ मिलकर कृष्ण जी और ग्वालों को लाठी से पीटने लगीं। इसी घटना के बाद से बरसाना और नंद गांव में लट्ठमार होली की परंपरा की शुरुआत हुई। तब से यहां महिलाएं पुरुषों को लाठियों से मारने का खेल खेलती हैं, जबकि पुरुष खुद को बचाने की कोशिश करते हैं और इस लट्ठमार होली का आनंद लेते हैं।

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इस अवसर पर रंगों के साथ-साथ फूलों की होली भी मनाई जाती है। लट्ठमार होली के अवसर पर नंदगांव के युवक सिर पर साफा और कमर में फेंटा बांधकर ढाल लेकर आते हैं। वहीं, बरसाने की महिलाएं अपने चेहरों को पल्लू से ढककर लाठियां चलाती हैं। यदि किसी हुरियारे को लठ लग जाता है, तो उसे मजाक के तौर पर महिलाओं के कपड़े पहनकर नाचना पड़ता है। यह सब हंसी-मजाक के माहौल में होता है, जिसमें किसी को चोट नहीं आती।

इस दौरान विशेष ब्रज गीत गाए जाते हैं और चारों ओर रंगों की छटा बिखरती है। इस खास मौके पर भांग और ठंडाई का आनंद लिया जाता है। पूरे गांव में कीर्तन मंडलियां घूमती हैं और श्रीकृष्ण-राधा के भजन गाए जाते हैं। 

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .