धर्म संवाद / डेस्क : सनातन धर्म में खरमास का विशेष महत्व है। हर वर्ष जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है, तब खरमास या मलमास की अवधि शुरू होती है। वर्ष 2025–2026 में यह अवधि 16 दिसंबर 2025 से प्रारंभ होकर 15 जनवरी 2026 तक चलेगी। इस पूरे महीने को शास्त्रों में अशुभ और मांगलिक कार्यों के लिए वर्जित माना गया है।
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खरमास क्या होता है?
‘खरमास’ दो शब्दों से मिलकर बना है : खर- दुर्भाग्य या अप्रिय और मास यानि कि महीना। खरमास वह समय होता है जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं, जिससे शुभ कार्यों का फल पूर्ण नहीं मिलता। इसलिए इस अवधि में विवाह, गृह प्रवेश, उपनयन, वाहन खरीद, व्यवसाय की शुरुआत जैसे मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं।
खरमास क्यों माना जाता है अशुभ?
ज्योतिशाचार्यों के अनुसार,
- इस काल में सूर्य देव धनु राशि में रहते हैं।
- इस दौरान सूर्य का तेज और ऊर्जा कम मानी जाती है।
- ग्रहों की स्थिति मांगलिक कार्यों के लिए अनुकूल नहीं रहती।
- इस समय किए गए शुभ कार्यों का परिणाम अधूरा या विलंबित मिलता है।
इसी कारण शास्त्रों में इसे अशुभ काल बताया गया है।
खरमास में क्या करना चाहिए? (Do’s)
खरमास में ये कार्य अत्यंत शुभ माने जाते हैं:
✔ देवी-देवताओं की पूजा
✔ जप और तप
✔ दान-पुण्य
✔ तीर्थ यात्रा
✔ गाय सेवा
✔ श्रीमद्भागवत, गीता, रामायण पाठ
इस अवधि में आध्यात्मिक क्रियाओं का परिणाम कई गुना बढ़कर मिलता है।
खरमास में क्या करना मना है? (Don’ts)
🚫 विवाह
🚫 गृह प्रवेश
🚫 नए घर का निर्माण या शुरुआत
🚫 वाहन या संपत्ति खरीद
🚫 नया व्यवसाय या निवेश
इन कार्यों को इस समय करने से लाभ न मिलने, बाधाओं और परेशानियों की आशंका मानी गई है।
खरमास 2026 समाप्ति और शुभ कार्य कब से शुरू होंगे?
खरमास 15 जनवरी 2026 को समाप्त होगा और 16 जनवरी 2026 से शुभ कार्यों की शुरुआत मानी जाएगी।
हालाँकि, ज्योतिषीय गणना के अनुसार:
- माघ गुप्त नवरात्रि 19 जनवरी से शुरू होगी
- 27 जनवरी तक अशुद्ध काल रहेगा
- 28 जनवरी 2026 से पूर्ण शुभ काल उपलब्ध होगा
इसके बाद विवाह, गृह प्रवेश, उपनयन आदि सभी मांगलिक कार्य किए जा सकते हैं।
लोग क्यों करते हैं इंतज़ार?
धार्मिक मान्यता है कि शुभ कार्य तभी करें जब ग्रह और नक्षत्र अनुकूल हों, ताकि जीवन में सुख, समृद्धि और मंगल प्राप्त हो। इसलिए लोग खरमास समाप्त होने का इंतज़ार करते हैं और फिर शुभ मुहूर्त में कार्य आरंभ करते हैं।
