कभी कहलाती थी तांत्रिक यूनिवर्सिटी , जाने 64 योगिनी मंदिर की खास बातें

By Tami

Published on:

64 योगिनी मंदिर (1)

धर्म संवाद / डेस्क : मंदिरों के देश भारत में कई मंदिर ऐसे हैं जो अपने आप में अनोखे हैं। इन मंदिरों के चमत्कार की गाथा वेदों –पुराणों तक में वर्णित हैं। कुछ मंदिर तो बेहद रहस्यमयी भी है। उनमे से एक है 64 योगिनी मंदिर। भारत में कूल चार चौसठ योगिनी मंदिर हैं। दो मंदिर ओडिशा में हैं और दो मध्य प्रदेश में हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के मुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर सबसे प्राचीन है।  इस मंदिर को तांत्रिक यूनिवर्सिटी कहा जाता था। यहां लाखों तांत्रिक तंत्र-मंत्र जानने आते थे। सिर्फ भारत देश ही नहीं विदेशों से भी लोग यहाँ तंत्र साधना सिखने आते थे।

यह भी पढ़े : इस मंदिर में मृत व्यक्ति हो जाता है जीवित, रहस्यमयी है लाखामंडल मंदिर की कहानी

[short-code1]

चौसठ योगिनी मंदिर ग्वालियर से 40 किलोमीटर में मुरैना जिले के पडावली के पास, मितावली गाँव में है। 1323 ईस्वी पूर्व के एक शिलालेख के अनुसार, मंदिर कच्छप राजा देवपाल द्वारा बनाया गया था। कहा जाता है कि मंदिर सूर्य के गोचर के आधार पर ज्योतिष और गणित में शिक्षा प्रदान करने का स्थान था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने मंदिर को एक प्राचीन और ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है।

WhatsApp channel Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Join Now

इस मंदिर को एकट्टसो महादेव मंदिर भी कहा जाता है। मंदिर गोलाकार है और इसमें 64 कमरे हैं। इन सभी 64 कमरों में भव्य शिवलिंग स्थापित है। मंदिर का निर्माण करीब 100 फीट की ऊंचाई पर किया गया है और पहाड़ी पर स्थित यह गोलाकार मंदिर किसी उड़न तश्तरी की तरह नजर आता है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 200 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर के बीच में एक खुले मंडप का निर्माण किया गया है जिसमें एक विशाल शिवलिंग स्थापित है।

मंदिर के हर कमरे में शिवलिंग और देवी योगिनी की मूर्ति स्थापित थी जिसकी वजह से इस मंदिर का नाम चौसठ योगिनी रखा गया था। हालांकि कई मूर्तियां चोरी हो चुकी हैं। इसके चलते अब बची मूर्तियों को दिल्ली स्थित संग्राहलय में रख दिया गया है। इस मंदिर में 101 खंबे भी बने हुए हैं।बताया जाता है कि ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने मुरैना में स्थित चौसठ योगिनी मंदिर के आधार पर ही भारतीय संसद को बनवाया था।  यहाँ के स्थानीय लोगों का कहना है कि आज भी यह मंदिर भगवान शिव की तंत्र साधना के कवच से ढका हुआ है। यहां पर किसी को भी रात में ठहरने की इजाजत नहीं है।

See also  कुब्जा कृष्ण मंदिर : यहाँ श्री कृष्ण ने किया जा कुब्जा का उद्धार

चौसठ योगिनी माता को मां काली का अवतार माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, देवी काली ने घोर नाम के राक्षस का अंत करने के लिए इस उग्र और शक्तिशाली रूप को धारण किया था। यह मंदिर भूकंप निरोधक मंदर है। मंदिर की संरचना इस प्रकार है कि इस पर कई भूकम्प के झटके झेलने के बाद भी यह  मंदिर सुरक्षित है ।  मुख्य केंद्रीय मंदिर में स्लैब के आवरण हैं जो एक बड़े भूमिगत भंडारण के लिए वर्षा के पानी को संचित करने के लिए उनमें छिद्र हैं। छत से पाइप लाइन बारिश के पानी को स्टोरेज तक ले जाती है।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .