धर्म संवाद / डेस्क : शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है। वे हर किसी को उनके कर्मों के हिसाब से पहल प्रदान करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में भी शनि गृह का प्रमुख महत्व है। शनि देव जिन पर महरबान हो जाते हैं उन्हे रंक से राजा बना देते हैं। परंतु अगर शनि की साढ़ेसाती आप पर पड़ गई तो आपका बुरा समय शुरू हो जाता है। शनि देव सूर्य देव के शत्रु माने जाते हैं। पर शनि देव सूर्य देव के ही पुत्र हैं। पर फिर भी उन दोनों में दुश्मनी क्यों है। इसका उत्तर शनि देव के जन्म से जुड़ा है।
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स्कंदपुराण के अनुसार ,सूर्य देव की शादी राजा दक्ष की पुत्री संज्ञा से हुई थी। संज्ञा से उन्हें मनु और यम नाम के पुत्र हुए और यमुना नाम की एक पुत्री का जन्म हुआ। संज्ञा सूर्य देव के तेज से परेशान हो चुकी थी। कुछ समय तक संज्ञा ने सूर्य के साथ रिश्ता निभाने की कोशिश की, लेकिन संज्ञा सूर्य के तेज को ज्यादा समय तक सहन नहीं कर पाईं। सूर्य देव के तेज को कम करने के लिए उन्हें एक युक्ति सूझी। सूर्य देव को इस बात का पता न चले इसलिए जाने से पहले वह बच्चों के लालन-पालन और पति की सेवा के लिए अपने तपोबल से अपनी हमशक्ल संवर्णा को उत्पन्न किया, जिसे छाया के नाम से जाना जाता है।
संज्ञा ने छाया से कहा कि अब से मेरे बच्चों और सूर्यदेव की जिम्मेदारी तुम्हारी रहेगी लेकिन यह राज सिर्फ मेरे और तुम्हारे बीच ही बना रहना चाहिए। उसके बाद संज्ञा अपने पिता दक्ष के घर चली गईं लेकिन दक्ष ने उनका इस कार्य का समर्थन नहीं किया फिर संज्ञा वन में घोड़ी बनकर तपस्या करने लगी। दूसरी ओर, छाया रूप होने के कारण सवर्णा को सूर्य देव के तेज से कोई परेशानी नहीं हुई और कुछ समय बाद छाया और सूर्य देव के मिलन से शनि देव और भद्रा का जन्म हुआ।
जन्म के समय से ही शनि देव श्याम वर्ण वाले थे.जब सूर्य देव ने देखा कि शनि देव का रंग काला है तो उन्होंने उन्हें अपना पुत्र मानने से इनकार कर दिया। साथ ही सूर्य देव ने छाया पर भी संदेह किया। और उन्हे अपमानित भी किया। अपने माता को अपमान होता देख शनि देव को गुस्सा या गया और वे क्रोधित होकर अपने पिता सूर्यदेव को देखने लगे। उनकी शक्ति से सूर्य देव काले हो गए और उनको कुष्ठ रोग हो गया। इसके बाद घबराकर सूर्यदेव भगवान शिव के पास पहुंचे तब भगवान शिव ने सूर्यदेव को उनकी गलती का अहसास करवाया। सूर्यदेव को अपने किए का पश्चाताप हुआ, उन्होंने क्षमा मांगी तब कहीं उन्हें फिर से अपना असली रूप वापस मिला।
परंतु उनके पुत्र शनि के साथ उनका संबंध ठीक नहीं हो पाया। तब से ही शनि देव और सूर्य देव एक दूसरे के शत्रु माने जाते हैं।