धर्म संवाद / डेस्क : सनातन धर्म में तिलक का एक अलग महत्त्व है। ज़्यादातर हिन्दू धार्मिक कार्यो में तिलक माथे पर लगाया जाता है। तिलक के बिना अनुष्ठान अधूरा माना जाता है। तिलक लगाने का धार्मिक महत्त्व तो है ही साथ ही इसका वैज्ञानिक महत्त्व भी है। मान्यता है कि माथे के मध्य भाग में तिलक लगाने से एकाग्रता बढती है और अत्विश्वास भी बढ़ता है।
वैज्ञानिक कहते हैं कि दोनों आंखों के बीच में आज्ञा चक्र होता है। इस स्थान पर तिलक लगाने से एकाग्रता में वृद्धि होती है। साथ ही अंगूठे या उंगली से इस जगह पर जब दबाव पड़ता है तब माथे तक जाने वाली नसों में रक्त संचार का प्रवाह सामान्य रहता है। आपको बता दे तिलक अलग- अलग प्रकार के होते हैं।
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तिलक केवल एक तरह से नहीं लगाया जाता। हिंदू धर्म में जितने संतों के मत हैं, जितने पंथ है, संप्रदाय हैं उन सबके अपने अलग-अलग प्रकार के तिलक होते हैं। सनातन धर्म में शैव, शाक्त, वैष्णव और अन्य मतों के अलग-अलग तिलक होते हैं। तिलक लगाने से व्यक्ति के सम्प्रदाय की भी पहचान होती है।आपकी जानकारी के लिए बता दे तिलक को मस्तक के अलावा, कंठ और नाभि ,पीठ, भुजाएं ,छाती पर भी लगाईं जाती है।
मुख्यरूप से तीन तरह के तिलक होते हैं- वैष्णव तिलक, शैव तिलक और ब्रह्म तिलक। वैष्णव तिलक लगाने वाले भगवान विष्णु के अनुयायी होते हैं। ऐसे लोग भगवान विष्णु और उनके अवतारों जैसे कि श्री कृष्ण, श्री राम, प्रभु नरसिंह, वामन देव आदि की पूजा करते हैं। शैव तिलक वह लगाते हैं जो भगवान शिव के उपासक होते हैं। वहीं, ब्रह्म तिलक मंदिर के पुजारी या ब्राह्मणों द्वारा लगाया जाता है।
इसके अलावा, ब्रह्म देव की पूजा-आराधना करने वाले गृहस्थी भी ब्रह्म तिलक धारण करते हैं। वैष्णव तिलक पीले रंग का होता है जिसे गोपी चंदन से लगाते हैं तो वहीं, शैव तिलक काले या लाल रंग का होता है जिसे रोली से लगाया जाता है। ब्रह्म तिलक सफेद रंग का होता है जिसे रोली से लगाते हैं।
वैष्णव संप्रदाय में 64 प्रकार से तिलक लगाया जाता है। इनमें से प्रमुख श्री तिलक है इसमें चंदन के तिलक के बीच कुमकुम या हल्दी की खड़ी रेखा बनती है। वहीं श्याम श्री तिलक श्री कृष्ण के उपासक धारण करते हैं। इसमें चंदन के बीच काले रंग की मोटी रेखा होती है।
इसके साथ-साथ विष्णुस्वामी तिलक और रामानंद तिलक भी प्रमुख रूप से लगाया जाता है। विष्णु स्वामी तिलक दो चौड़ी खड़ी रेखाओं से बनती है। यह तिलक दोनों भौहों के बीच तक लगाया जाता है। वही रामानंद तिलक धारण करते समय विष्णु स्वामी तिलक के बीच में कुमकुम की खड़ी रेखा खींची जाती है।
तिलक किन-किन चीजों से लगाया जाता है
हिंदू धर्म में विशेष रूप से कुमकुम, केसर, चंदन और भस्म से तिलक लगाया जाता है। कुमकुम का तिलक लगाने से आज्ञा चक्र की शुद्धि होती है और ज्ञान की प्राप्ति होती है। केसर का तिलक लगाने से दिमाग शांत रहता है। वहीं चंदन का तिलक दिमाग को शीतलता प्रदान करता है और मानसिक शांति बनी रहती है। इसके साथ भस्म का तिलक लगाने से मस्तिष्क विषाणुओं से मुक्त रहता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह निरंतर बना रहता है।