Chardham Yatra 2025: चारधाम यात्रा का पंजीकरण शुरू; गुप्तकाशी पहुंची बाबा केदार की पंचमुखी डोली

By Tami

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Chardham Yatra 2025

धर्म संवाद / डेस्क : केदारनाथ की विश्व प्रसिद्ध पंचमुखी चल विग्रह डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल, ओंकारेश्वर मंदिर, ऊखीमठ से केदारनाथ धाम के लिए रवाना हो चुकी है। 28 अप्रैल को बाबा केदार की पंचमुखी उत्सव डोली को यात्रा से पहले ओंकारेश्वर मंदिर में पंच स्नान कराया गया। इसके पश्चात भव्य पूजा-अर्चना के साथ, फूलों से सजे मंदिर परिसर में डोली को विदा किया गया। इस अवसर पर भारतीय सेना के बैंड की भक्तिमय धुनों ने वातावरण को और भी दिव्य बना दिया। डोली को केदारनाथ रावल भीमाशंकर लिंग, बीकेटीसी के मुख्य कार्याधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल, और अन्य विशिष्ट अतिथियों की उपस्थिति में विदा किया गया।

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डोली की यात्रा और महत्व

परंपरा के अनुसार, बाबा केदार की पंचमुखी डोली कई पड़ावों से होकर गुजरती है — गुप्तकाशी, फाटा, लिनचोली, भैरव गढ़ी होते हुए अंत में केदारनाथ धाम पहुंचती है, जहां भगवान छह महीने तक विराजते हैं। पंचमुखी डोली का अर्थ है कि इसमें भगवान केदारनाथ के पांच मुखों का दर्शन होता है। यह डोली चांदी की सुंदर मूर्ति से सुसज्जित होती है, जिसकी विशेष पूजा होती है।

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जब केदारनाथ धाम के कपाट खुलने का समय आता है, तो यही भोगमूर्ति डोली के माध्यम से मंदिर ले जाई जाती है। बाबा केदार की भोग मूर्ति की पूजा छह माह केदारनाथ में और छह माह शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर में होती है। केदारनाथ में यह मूर्ति मुख्य पुजारी के आवास में रखी जाती है।

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कब शुरू होगी चारधाम यात्रा 2025?

साल 2025 में चारधाम यात्रा 30 अप्रैल से शुरू होगी।परंपरा के अनुसार, यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से होती है, फिर गंगोत्री, इसके बाद केदारनाथ, और अंत में बद्रीनाथ के दर्शन किए जाते हैं।

  • 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलेंगे।
  • 2 मई को केदारनाथ धाम के कपाट खोले जाएंगे।
  • 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे।

कैसे बदली डोली यात्रा की परंपरा?

करीब 60-70 साल पहले, कपाट खुलने पर केवल भोगमूर्ति, केदारनाथ रावल और मुख्य पुजारी ही धाम जाया करते थे। धीरे-धीरे यह यात्रा एक उत्सव यात्रा का रूप लेने लगी। यात्रा के लिए बाबा केदार की पंचमुखी रजत पालकी तैयार की जाती है, जिसमें कपाट बंद होने के बाद भोगमूर्ति को शीतकालीन गद्दीस्थल लाया जाता है और कपाट खुलने पर फिर धाम ले जाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि कपाट बंद होने के बाद भगवान शिव के गण और अन्य देवी-देवता बाबा केदार की पूजा करते हैं, इसलिए उस समय भोग नहीं चढ़ाया जाता, और भोग मूर्ति को नीचे लाया जाता है।

चारधाम यात्रा के लिए पंजीकरण शुरू

28 अप्रैल से चारधाम यात्रा का ऑफलाइन पंजीकरण शुरू हो चुका है। हरिद्वार, ऋषिकेश और डोईवाला जैसे प्रमुख स्थलों पर पंजीकरण काउंटर स्थापित किए गए हैं। विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगों और विदेशी यात्रियों के लिए हरिद्वार में विशेष काउंटर बनाए गए हैं। पर्यटन विभाग द्वारा कुल 20 काउंटर संचालित किए जा रहे हैं। अगर आप भी इस पवित्र यात्रा में सम्मिलित होना चाहते हैं, तो पंजीकरण अनिवार्य है।

Tami

Tamishree Mukherjee I am researching on Sanatan Dharm and various hindu religious texts since last year .