धर्म संवाद / डेस्क : सनातन धर्म को मानने वाले अपनी अराधना पूजा –पाठ तक सीमित नहीं रखते.साधना के द्वारा भी लोग भगवान की तपस्या करते हैं. इस तरह तपस्या करने वालों को तपस्वी कहा जाता है. छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला मुख्यालय से लगे कोसमनारा गांव में पिछले 26 साल से एक तपस्वी बाबा एक जगह बैठकर ही भगवान शिव की तपस्या कर रहे है. इनका नाम है बाबा सत्यनारायण .
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बाबा सत्यनारायण का जन्म 12 जुलाई 1984 में हुआ था. इनके पिता का नाम दयानिधी एवं उनके माता का नाम हंसमती है. माता पिता ने बालक का नाम हलधर रखा था.उनकी माता का कहना है कि सत्यनारायण बचपन से ही भगवान शिव के भक्त थे. वे गांव में स्थित शिव मंदिर में 7 दिनों तक लगातर तपस्या करते रहे. फिर 16 फरवरी 1998 को हलधर घर से स्कूल के लिए निकले एवं अपने गांव से लगभग 18 किलोमीटर दूर कोसमनारा गांव में तप करने बैठ गए. वहाँ उन्होंने अपनी जीभ काटी और एक पत्थर को शिवलिंग मानकर अपनी जीभ अर्पित कर दी. उस दिन से लेकर आज तक बाबा उसी स्थान पर बैठकर तप कर रहे हैं.
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चाहे धूप हो या बारिश, ठंडी में भी बाबा खुले आसमान के नीचे ही बैठे रहते हैं. कहते हैं इनके दर्शन करने से ही सारे दुख दूर हो जाते हैं और मनचाही कामना पूर्ण होती है. आपको बता दे पहले बाबा जमीन पर बैठ कर ही तप कर रहे थे, बाद में भक्तों के द्वारा चबुतरा बना गया.भक्तों के आग्रह पर बाबा अब उसी चबुतरा में ही बैठ कर तप करते है. बाबा की तपस्या को देखकर श्रद्घालुओं की भीड़ लगातार बढ़ती गई एवं बाबा की 24 घंटे देखरेख होने लगी.
बाबा सत्यनारायण किसी से बात नहीं करते. वो इशारों से ही चीज़े समझाते हैं. हर मौसम में धूप, बारिश, ठंडी में भी बाबा खुले आसमान के नीचे ही बैठे रहते हैं. यहां हर साल लाखों भक्त बाबा के दर्शन के लिए आते हैं. बाबा के तपस्या के सफर को दिखाने के लिए मंदिर के दीवाल पर साल 1998 से लेकर 2022 तक की तस्वीर भी लगी हुई है .