धर्म संवाद / डेस्क : महाभारत से जुड़े तमाम प्रसंग बड़े ही प्रसिद्ध हैं। एक प्रसंग ऐसा है जो उतना प्रसिद्ध नहीं है। परंतु ये प्रसंग बड़ा ही अद्भुत है। वैसे तो भगवान से हर कोई सुख समृद्धि की कामना करता है परंतु पांडवों की माता कुंती ने भगवान कृष्ण से आजीवन दुख भोगने का वरदान मांगा था । चलिए जानते हैं महाभारत की यह कथा।
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महाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद युधिष्ठिर राजा बन गए। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण ने द्वारका लौटने की इच्छा जताई। तब भगवान श्री कृष्ण ने किसी से विदा ली। अंत में वे माता कुंती के पास गए। उन्होंने माता कुंती से कहा कि आज तक अपने लिए मुझसे कुछ नहीं मांगा, मैं आपको कुछ देना चाहता हूं, इसलिए जो आपके मन में हो वह मांग लीजिए। इस पर कुंती कहती है कि यदि आप मुझे कुछ देना ही चाहते हैं तो दुख दे दीजिए।
कुंती के इस जवाब से कृष्ण को भी काफी आश्चर्य हुआ था और उन्होंने उनसे इसकी वजह पूछी। कुंती कहती है कि यह मानव का स्वभाव है कि वह सुख के समय में भगवान को भूल जाता है और केवल दुख के समय में ही भगवान को याद करता है। आप भी मुझे केवल दुख में ही याद आते हो। ऐसे में यदि जीवन में दुख रहेगा, तो मैं आपकी भक्ति करती रहूंगी। क्योंकि सुख के दिनों में तो मन भक्ति में लगता ही नहीं है। मैं हर पल आपका ही ध्यान करना चाहती हूं, इसलिए दुख मांग रही हूं। यह सुनकर श्रीकृष्ण काफी प्रभावित हुए और उन्होंने कुंती को उसकी इच्छा के अनुसार ही दुख का वरदान दे दिया।