महाभारत के युद्ध में योद्धाओं के पास कई दिव्य अस्त्र –शास्त्र थे। उनके तीर-धनुष भी अद्वितीय होते थे।

वैसे ही अर्जुन का धनुष भी अद्भुत था।

उसके धनुष का नाम था गांडीव ।

गांडीव दैत्यराज वृषपर्वा ने भगवान शंकर की आराधना से प्राप्त किया था।

कहते हैं कि गांडीव धनुष अलौकिक था। यह धनुष वरुण के पास था।

वरुण ने इसे अग्निदेव को दे दिया था और अग्निदेव से अर्जुन को प्राप्त हुआ था।

यह धनुष देव, दानव तथा गंधर्वों से अनंत वर्षों तक पूजित रहा था।

वह किसी शस्त्र से नष्ट नहीं हो सकता था तथा अन्य लाख धनुषों का सामना कर सकता था।

जो भी इसे धारण करता था उसमें शक्ति का संचार हो जाता था।