तमिलनाडु के शहर कोयंबटूर में भगवान शिव को चित्रित करने वाली दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति आदियोगी स्थापित है।
यह प्रतिमा 112 फीट ऊंची है, जिसका वजन लगभग 500 टन है।
इसे एक प्रसिद्ध भारतीय योगी और ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा बनवाया गया है ।
आदियोगी शिव प्रतिमा में महान 'योगी' को पूरी तरह से गहन ध्यान और पारलौकिक वास्तविकता में लीन देखा जा सकता है।
ईशा फाउंडेशन के मुताबिक यह प्रतिष्ठित चेहरा मुक्ति का प्रतीक है और उन 112 मार्गों को दर्शाता है, जिनसे इंसान योग विज्ञान के जरिए अपनी परम प्रकृति को प्राप्त कर सकता है।
आदियोगी मूर्ति की गले की माला को असली रुद्राक्ष से बनाया गया है।
साथ ही यह दुनिया की सबसे बड़ी रुद्राक्ष माला भी है, जिसमें 100,008 रुद्राक्ष पिरोए गए हैं।
भक्त गण आदियोगी के चारों ओर लगे हुए 621 त्रिशूलों पर काला कपड़ा बांधकर भगवान आदियोगी को वस्त्र अर्पित करते हैं।
आदियोगी का अर्थ- पहला योगी या आदिगुरू, या पहले गुरु भी हैं।