पूजा के दौरान हाथों में लाल या पीले रंग का कलावा बांधा जाता है।
आमतौर पर इसे मौली भी कहा जाता है।
कलावा तीन धागों से मिलकर बना हुआ होता है. यह तीन धागे त्रिशक्तियों ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक माने जाते हैं.
शास्त्रों के अनुसार कलावा बांधने की परंपरा की शुरुआत देवी लक्ष्मी और राजा बलि ने की थी।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कलाई में लाल रंग का कलावा पहनने से कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है।
विवाह संबंधी समस्याओं के समाधान के लिए पीले और सफेद रंग का कलावा धारण करना शुभ माना जाता है।
शिक्षा और एकाग्रता के लिए नारंगी रंग का कलावा धारण करना ही शुभ माना जाता है। यह स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद है। कलाई पर कलावा बांधने से नसों की क्रिया नियंत्रित रहती है।
इससे त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ का सामंजस्य बना रहता है।
माना जाता है कि कलावा बांधने से रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर रोगों से काफी हद तक बचाव होता है।