भगवान कृष्ण को मोरपंख बहुत प्रिय है. मोरपंख के बिना उनकी कल्पना ही नहीं की जा सकती .
आइए जानते हैं कि आखिर भगवान कृष्ण क्यों मोर पंख धारण करते थे।
ज्योतिष की माने तो भगवान कृष्ण की कुंडली में कालसर्प योग था। कालसर्प योग के दुष्परिणामों से बचने के लिए कृष्ण जी मोर पंख धारण किया करते थे।
कहते हैं कि एक बार श्रीकृष्ण राधा के साथ नृत्य कर रहे थे तभी उनके साथ ही झूमकर नृत्य कर रहे एक मोर का पंख भूमि पर गिर गया तो प्रभु श्रीकृष्ण ने उठाकर उसे अपने सिर पर धारण कर लिया।
यह भी कहा जाता है कि बचपन से ही माता यशोदा अपने लल्ला के सर इस मोर पंख को सजाती थीं।
मोर को एक बेहद पवित्र पक्षी माना जाता है. इस कारण से भी शायद श्रीकृष्ण मोरपंख धारण किया करते थे.
श्रीकृष्ण के भाई शेषनाग के अवतार थे और मोर तो नाग का शत्रु होता है। मोरपंख को माथे पर लगा कर उन्होंने इस बात का सन्देश दिया था कि भगवान के लिए सभी सामान है.