धर्म संवाद / डेस्क : इस दौर में हर कोई परेशान है। कोई धन के कारण परेशान है तो कोई बीमारी के कारण। कोई शेयर में घाटे के कारण परेशान है तो कोई बेटी की शादी न हो पाने के कारण परेशान है। कोई बीवी से परेशान है तो कोई आवारा निकल चुके बेटे के साथ परेशान है। किसी को ट्रेन में कंफर्म टिकट नहीं मिल रहा, इसलिए परेशान है तो कोई इसलिए परेशान है कि चुनाव में मजबूत दावेदारी होने के बावजूद उन्हें टिकट नहीं मिला। हर कोई परेशान ही दिखता है। फिर आप पूछ सकते हैं कि सुखी कौन है?
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सुखी वह है जो संतोषी है, जिसकी कोई वाह्य इच्छा नहीं है, जो कम में भी गुजारा कर लेता है, जो रोज भगवान से शांति और संतुष्टि मांगता है, जो जगत की शांति की कामना करता है। सुखी वो है जो पड़ोसी के दुख में दुखी हो जाता है और खुशी में शरीक होने से खुद को रोकता नहीं। जो कोई महत्वाकांक्षा नहीं रखता और जो न किसी चीज के गुम हो जाने, न मिलने पर शोक प्रकट करता है। जिसने अपनी लालसाओं को नियंत्रित कर रखा हो, जो ठाकुर जी को भोग लगाकर ही कुछ ग्रहण करता हो, जो ठाकुर जी से बारगेनिंग न करता हो, जो ठाकुर जी से भी कुछ डिमांड न करता हो, सुखी वही है। जो यह मान कर चलता है जीवन प्रथम और मृत्यु अंतिम अटल सत्य है, बीच के जीवन में भी अटल सत्य से डिगना नहीं है, वही सुखी है। जो इस आपाधापी में भी खुद को स्थिर रख प्रभु की चरणों की ही टेक लेता हो, दरअसल सुखी वही है।